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________________ लेश्या -कोश १७७ वाले, बहु मायोपयोगवाले ; (१२) बहु क्रोधोपयोगवाले, एक मानोपयोगवाला, एक लोभोपयोगवाला ; (१३) बहु क्रोधोपयोगवाले, एक मानोपयोगवाला, बहु लोभोपयोगत्राले ; (१४) बहु क्रोधोपयोगवाले, बहु मानोपयोगवाले, एक लोभोपयोगवाला; (१५) बहु क्रोधोपयोगवाले, बहु मानोपयोगवाले, बहु लोभोपयोगवाले; (१६) बहु क्रोधोपयोगवाले, एक मायोपयोगवाला, एक लोभोपयोगवाला ; ( १७ ) बहु क्रोधोपयोगवाले, एक मायोपयोगवाला, बहु लोभोपयोगवाले ; (१८) बहु क्रोधोपयोगवाले, बहु मायोपयोगवाले, एक लोभोपयोगवाला ; (१६) बहु क्रोधोपयोगवाले, बहु मायोपयोगवाले, बहु लोभोपयोगवाले । (२०) बहु क्रोधोपयोगवाले, एक मानोपयोगवाला, एक मायोपयोगवाला, एक लोभोपयोगवाला; (२१) बहु क्रोधोपयोगवाले, एक मानोपयोगवाला, एक मायोपयोगवाला, बहु लोभोपयोगवाले; (२२) बहु क्रोधोपयोगवाले, एक मानोपयोगवाला, बहु मायोपयोगवाले, एक लोभोपयोगवाला; (२३) बहु क्रोधोपयोगवाले, एक मानोपयोगवाला, बहु मायोपयोगवाले, बहु लोभोपयोगवाले; (२४) बहु क्रोधोपयोगवाले, बहु मानोपयोगवाले, एक मायोपयोगवाला, एक लोभोपयोगवाला; (२५) बहु क्रोधोपयोगवाले, बहु मानोपयोगवाले, एक मायोपयोगवाला, बहु लोभोपयोगवाले ; (२६) बहु क्रोधोपयोगवाले, बहु मानोपयोगवाले, बहु मायोपयोगवाले, एक लोभोपयोगवाला ; तथा (२७) बहु क्रोधोपयोगवाले, बहु मानोपयोगवाले, बहु मायोपयोगवाले, बहु लोभोपयोगवाले । इसी प्रकार सातों नरकपृथ्वी के नरकावासों के एक-एक नरकावास में बसे हुए कापोतलेशी, नीललेशी तथा कृष्णलेशी नारकियों में क्रोधोपयोग आदि के २७ विकल्प कहने, लेकिन जिसमें जो लेश्या होती है वह कहनी तथा नरकावासों की भिन्नता जाननी । ७२२ सलेशी पृथ्वीकायिक में कषायोपयोग के विकल्प : असंखेज्जेसु णं भंते! पुढविक्काइयावाससय सहस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइया वासंसि जहन्नियाए ठिइए (सव्वेसु वि ठाणेसु) वट्टमाणा पुढविकाइया कि कोहोवउत्ता माणवत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ? गोयमा ! कोहोवउत्ता वि माणोवउत्ता वि मायोवउत्तावि लोभोवउत्ता वि, एवं पुढविकाइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं, नवरं तेऊलेस्साए असीइ भंगा । एवं आउक्काश्या वि, तेऊक्वाइयवाउक्काश्याणं सव्वेसु वि ठाणे अभंगयं । वणस्सइकाइया जहा पुढविकाइया । -भग० श १ | उ ५ । प्र १६२ | पृ० ४०१ पृथ्वीकायिक के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीलेशी व कापोतलेशी पृथ्वीकायिक में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने। तेजोलेशी २३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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