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________________ लेश्या - कोश वानव्यंतर देव के सम्बन्ध में असुरकुमार की तरह कहना । यह निश्चित है कि तेजोलेशी ज्योतिषी देव तेजोलेशी ज्योतिषी देव में उत्पन्न होता है तथा तेजोलेशी रूप में च्यवन (मरण) को प्राप्त होता है। १५६ इसी प्रकार तेजोलेशी वैमानिक देव तेजोलेशी वैमानिक देव में उत्पन्न होता है तथा तेजोलेशी रूप में च्यवन को प्राप्त होता है । इसी प्रकार पद्मलेशी वैमानिक देव पद्मलेशी वैमानिक देव में उत्पन्न होता है तथा पद्मलेशी रूप में च्यवन को प्राप्त होता है । इसी प्रकार शुक्ललेशी वैमानिक देव शुक्ललेशी वैमानिक देव में उत्पन्न होता है तथा शुक्ललेशी रूप में च्यवन को प्राप्त होता है । वैमानिक देव जिस लेश्या में उत्पन्न होता है उसी लेश्या में च्यवन को प्राप्त होता है । से नूणं भंते! कण्हले से नीललेसे काऊलेसे नेरइए कण्हलेसेसु नीललेसेसु काऊलेसेसु नेरइएस उववज्जर, कण्हलेसे नीललेसे काऊलेसे उबवट्टइ, जल्लेसे उववज्जइ तल्लेसे उववट्ट ? हंता गोयमा ! कण्हनीलकाऊलेसे उववज्जइ, जल्लेसे उववज्जइ तल्लेसे ववट्टइ । से नूणं भंते! कण्हलेसे जाव तेऊलेसे असुरकुमारे कण्हलेसेसु जाव तेकलेसेसु असुरकुमारेसु उववज्जइ ? एवं जहेव नेरइए तहा असुरकुमारा वि जाव थयिकुमारा वि । से नूणं भंते ! कण्हलेसे जाव तेऊलेसे पुढविक्काइए कण्हलेसेसु जाव लेऊलेसेस पुढविक्काइएस उववज्जइ ? एवं पुच्छा जहा असुरकुमाराणं । हंता गोयमा ! कण्हलेसे जाव तेऊलेसे पुढविक्काइए कण्हलेसेसु जाव तेऊलेसेसु पुढविक्काइएस उववज्जइ, सिय कण्हलेसे उववट्टइ, सिय नीललेसे, सिय काऊलेसे उववट्टर, सिय जल्ले से उववज्जइ तल्लेसे उववट्टइ, तेऊलेसे उववज्जइ, नो चेवणं तेऊलेसे उववट्टइ । एवं आउकाइया वणस्सइकाइया वि भाणियव्वा । से नूणं भंते! कण्हलेसे नीललेसे काफलेसे ते काइए कण्हलेसेसु नीललेसेसु काऊलेसेसु तेऊकाइएस उववज्जइ, कण्हलेसे नीललेसे काऊले से उववट्टइ, जल्लेसे उववज्जइ तल्ल से उववट्टइ ? हंता गोयमा ! कण्हलेसे नीललेसे काउलेसे तेऊकाइए कण्हलेसेसु नीललेसेसु काऊलेसेसु तेऊकाइएस उववज्जइ, सिय कण्हलेसे उववट्ट, सिय नीललेसे उववट्टइ, सिय काऊलेसे उववट्टर, सिय जल्लेसे उववज्जइ तल्लेसे उववट्टइ । एवं वाउकाइयबेइं दियतेइं दिय चउरिंदिया वि भाणियव्वा । से नूणं भंते ! कन्हले से जाव सुक्कले से पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कण्हलेसेसु जावं सुक्कले से सु पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जइ पुच्छा । हंता गोयमा ! कण्हलेसे जाव सुकलेसे पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कण्हलेसेसु जाव सुक्कलेसेसु पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु सिय कण्हलेसे उववट्टर जाव सिय सुकलेसे उववट्टइ, सिय जल्ल से उववज्जइ उववज्जइ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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