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________________ लेश्या - कोश १११ असुरकुमाराणं वत्तव्वया तहा एएसिं वि जाव - 'असन्नि'त्ति) उनमें नौ गमकों ही में प्रथम की तीन लेश्या होती हैं । - भग० श २४ । उ ३ । प्र १-२ | पृ० ८२८ '५८६२ असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक- १-६ : असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाज्यसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए नागकुमारेसु उववजित्त xxx ते भंते! जीवा० अवसेसो सो चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स गमगो भाणि - यव्वो जाव - ' - 'भवासोत्ति xxx - प्र० ५ । ० १ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएस उववन्नो, एस चैव वत्तव्वया x x x - प्र० ६ । ग० २ । सो चेव उक्कोसकालट्ठि उववन्नो, तस्स वि एस चेव वत्तव्वया xxx सेसं तं चेव जाव - 'भवाएसो 'ति - प्र० ७ । ग० ३ । सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएसु जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स जहन्नका लट्ठिइयस्स तहेव निरवसेसं - प्र० ८ । ग० ४-६ । सो चेत्र अपणा उक्कोसकालठ्ठिईओ जाओ, तस्स वि तव तिन्नि गमगा जहा असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स xxx सेसं तं चेवप्र० ६ । ग० ७-६ ) उनमें नव गमकों में ही प्रथम की चार लेश्या होती हैं ( ५८८२) -भग० श २४ । ३ । प्र ४-६ | पृ० ८२८ ·५८ε·३ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक - १-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्तसंखेज्जवासाउय० जाव - जे भविए नागकुमारेसु उववज्जित्तए xxx एवं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स वत्तव्या तव इह वि णवसु वि गमएस x x x सेसं तं चैव ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में प्रथम की चार लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं । -भग० श २४ । ३ । प्र ११ । पृ० ८२८ '५८'६'४ असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक-१-६ : असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से नागकुमार देवों में होने उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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