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________________ ११० लेश्या कोश जीवro xxx एवं एएसिं रयणप्पभपुढविगमगसरिसा नव गमगा णेयव्वा । नवरं जाहे अपणा जहन्नकालट्ठिईओ भवइ, ताहे तिसु वि गमएस इमं णाणत्तं चत्तारि लेस्साओ ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में प्रथम की चार लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं ( ५८:१२)। -भग० २४ । २ । प्र १६, १७ । पृ० ८२७ '५८'८'४ असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : -- गमक-१-६ : असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए xxx एवं असंखेजवासाव्यतिरिक्खजोणिय सरिसा आदिल्ला तिन्नि गमगा णेयव्वा x x x - २० । ग०१-३ । सो चेव अपणा जहन्न कालट्ठिईओ जाओ, तस्स वि जहन्नकालट्ठियतिरिक्ख जोणिय सरिसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा x x x सेसं तं चैव - प्र० २१ | ग० ४-६ । सो चेव अपणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ, तस्स वि ते चैव पच्छिल्ला तिन्नि गमगा भाणियव्वा - प्र० २२ । ग० ७-६ ) उनमें नौ गमकों ही में आदि की चार लेश्या होती हैं (५८८२ ) । - भग० श २४ । उ २ । म २०-२२ | पृ० ८२७ ‘५८'८५ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक-१-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जतसंखेजवा साउयसन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए x x x ते णं भंते ! जीवा० ? एवं जहेव एएसिं रयणप्पभाए उववज्जमाणाणं णत्र गमगा तहेव इह वि णव गमगा भाणियन्त्रा xxx सेसं तं चेत्र ) उनमें नौ गमकों ही में छ लेश्या होती हैं । ( '५८१३) । -- भग० श २४ । उ २ । प्र २४, २५ । पृ० ८२७-२८ '५८६ नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :५८६१ पर्याप्त असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक - १-६ : पर्याप्त असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( नागकुमारा णं भंते ! ××× जइतिरिक्ख ०१ एवं जहा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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