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________________ ६६ लेश्या-कोश ५७.३ मरण की लेश्या से अतिक्रान्त करने पर : ____ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं देवावासं वीइक्कते परमं देवावासं असंपत्ते एत्थ णं अंतरा कालं करेज्जा, तस्सणं भंते ! कहिं गइ कहिं उववाए पन्नत्ते ? गोयमा! जे से तत्थ परियस्सओ ( परिस्सऊ) तल्लेसा देवावासा, तहिं तस्स गइ, तहिं तस्स उववाए पन्नत्ते। से य तत्थ गए विराहेज्जा, कम्मलेस्सामेव पडिवडइ, से य तत्थ गए णो विराहेज्जा, तामेव लेस्सं उवज्जिता गं विहरइ । अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं असुरकुमारा वासं वीइक्क्कंते परमं असुरकुमारा० एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारावासं, जोइसियावासं एवं वेमाणिया: वासं जाव विहरइ। -भग० श १४ । उ १ । प्र २, ३ । पृ० ६६५ भवितात्मा अणगार ( साधु ) जिसने चरम देवावास का उल्लंघन किया हो तथा अभी तक परम अर्थात् अगले देवावास को प्राप्त नहीं हुआ हो वह साधु यदि इस बीच में मृत्यु को प्राप्त हो तो उसकी कहाँ गति होगी तथा वह कहाँ उत्पन्न होगा ? टीकाकार प्रश्न को समझाते हुए कहते हैं-उत्तरोत्तर प्रशस्त अध्यवसाय स्थान को प्राप्त होनेवाला अणगार जो चरम-सौधर्मादि देवलोक के इस तरफ वर्तमान देवावास की स्थिति आदि बंधने योग्य अध्यवसाय स्थान को पार कर गया हो तथा परम - ऊपर स्थित सनत्कुमारादि देवलोक की स्थिति आदि बंधने योग्य अध्यवसाय को प्राप्त नहीं हुआ हो उस अवसर में यदि मरण को प्राप्त हो तो उसकी कहाँ गति होगी तथा वह कहाँ उत्पन्न होगा ? चरम देवावास तथा परम देवावास के पास जहाँ उस लेश्या वाले देवावास हैं वहाँ उसकी गति होगी तथा वहाँ उसका उत्पाद होगा। टीकाकार इस उत्तर को समझाते हुए कहते हैं-सौधर्मादि देवलोक तथा सनत्कुमारादि देवलोक के पास ईशानादि देवलोक में जिस लेश्या में साधु मरण को प्राप्त होता है उस लेश्यावाले देवलोक में उसकी गति तथा उसका उत्पाद होता है । वह साधु वहाँ जाकर यदि अपनी पूर्व की लेश्या की विराधना करता है तो वह कर्मलेश्या से पतित होता है ( टीकाकार यहाँ कर्मलेश्या से भावलेश्या का अर्थ ग्रहण करते हैं ) तथा वहाँ जाकर यदि वह लेश्या की विराधना नहीं करता है तो वह उसी लेश्या का आश्रय करके विहरता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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