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________________ लेश्या-कोश द्वीपकुमार में चार लेश्या होती है- यथा-कृष्ण, नील, कपोत, तेजो। इसी प्रकार नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देव में चार लेश्या होती है । (ब) ( चउसट्ठीए णं भंते। असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुर कुमारावासंसि ) एवं लेसासु वि, नवरं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ? गोयमा ! चत्तारि, तंजहा-कण्हा, नीला, काऊ, तेऊलेस्सा। -भग० श १ । उ ५ । प्र० १६० की टीका असुरकुमारों सम्बन्धी अलग पाठ टीका ही में मिला है। असुरकुमार में चार लेश्या होती है। “२३ वाणव्यंतर देव में(क) वाणमंतरदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! एवं चेव । - पण्ण० प १७ । उ २। सू १३ । पृ ४३८ (ख) वाणमंतराणं सव्वेसि जहा असुरकुमाराणं । -ठाणा० स्था ४ । उ ३ । सूत्र ३६५ | पृ० २४० (ग) भवणवइवाणमंतरपुढ विआउवणस्सइकाइयाणं चत्तारि लेस्साओ। -ठाण० स्था १ । सू ५१ । पृ० १८४ (घ) वाणमंतराणं xx एवं जहा सोलसमसए दीवकुमारूद्द सए । -भग० श० १६ । उ १० । पृ० ७६० वाणव्यंतर देव में चार लेश्या होती है। तीन संक्लिष्ट लेश्या होती है। (ङ) वाणमंतराणं जहा असुरकुमाराणं । -ठाण० स्था ३। उ १ । सू १८१ । पृ० २०१ वाणव्यंतर देव में तीन संक्लिष्ट लेश्या होती है। •२३.१ वाणव्यंतर देवी मेंएवं वाणमंतरीण वि। -पण्ण० प १७ । उ २। सू १३ । पृ० ४३८ वाणव्यंतर देवी में चार लेश्या होती है। '२४ ज्योतिषी देव में(क) जोइसियाणं पुच्छा ! गोयमा! एगा तेऊलेस्सा। -पण्ण० प १७ । उ २। सू १३। पृ० ४३८ (ख) जोइसियाणं एगा तेऊलेस्सा। -ठाण० स्था १। सू ५१ । १८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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