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________________ ८२ * २००२ गर्भज (क) गभवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा । गोयमा ! छल्लेसाओ पन्नत्ताओ, तंजा - कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा | मनुष्य मैं लेश्या - कोश - पण्ण० प १७ | उ २ । सू १३ | पृ० ४३८ (ख) (गन्भवक्कं तियमणुस्सा) ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेस्सा जाव अलेस्सा | गोयमा ! सव्वेवि । * २०३ गर्भज मनुष्यणी में गर्भज मनुष्य में ६ लेश्या होती है । अलेशी भी होता है । (क) मणुस्सीणं पुच्छा । गोयमा । एवं चेव । - जीवा० प्र १ । सू ४१ । पृ० ११६ - पण्ण० प० १७ । २ । सू १३ । पृ० ४३८ (ख) मणुस्सीणं भंते! पुच्छा । गोयमा ! छल्लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहाकण्हा जाव सुक्का | मनुष्यणी ( गर्भज ) में छ लेश्या होती है । - पण ० प १७ । उ ६ । सू १ । पृ० ४५१ Jain Education International * २००४ कर्मभूमिज मनुष्य तथा मनुष्यणी में : कम्मभूमयमणुस्साणं भंते! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छ लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा— कण्हा जाव सुक्का । एवं कम्म भूमयमणुस्सीणवि । - पण्ण० प १७ | उ ६ । सू १ । पृ० ४५१ कर्मभूमिज मनुष्य में छः लेश्या होती है । इसी प्रकार कर्मभूमि मनुष्यणी (स्त्री) में भी छः लेश्या होती है । * २०५ कर्ममूमिज मनुष्य ओर मनुष्यणी के विभिन्न भेदों में : (क) भरत - ऐरभरत क्षेत्र में ( कर्मभूमिज ) मनुष्य में भररवयमणुस्साणं भंते ! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा -- कण्हा जाव सुक्का । एवं मणुस्सीणवि । - पण्ण० प १७ | उ ६ | सू १ । पृ० ४५१ इसी प्रकार मनुष्यणी (स्त्री) भरत - ऐरभरत क्षेत्र के मनुष्य में छः लेश्या होती है । में भी छः लेश्या होती है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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