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________________ * १६१० खेचर गर्भज तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में २० मनुष्य में भवतिय पंचेदिय तिरिषखजोणिया X X खहयरा - जहा जलयराणं । - जीवा० प्रति० १ | सू ३८ | पृ० ११६ खेचर गर्भज तिर्यच पंचेन्द्रिय में छः लेश्या होती है । (क) मणूसा लेश्या - कोश ன் पुच्छा । गोयमा ! छल्लेस्सा एयाओ चेव । - पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ । पृ० ४३८ (ख) मणुस्साणं भंते! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? तंजहा - कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा | - पण्ण० प १७ । उ ६ । सू १ । पृ० ४५१ (ग) पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं छ लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा - कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, एवं मणुस्सदेवाण वि । मनुष्य में छ लेश्या होती है । संक्लिष्ट लेश्या तीन होती हैं । (घ) पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं छल्लेस्साओ । ११ ८१ ठाण० स्था० ६ | सू ५०४ | पृ० २७२ Jain Education International (ङ) पंविदियतिरिक्खजोणियाणं तओ लेस्साओ संकिलिट्ठाओ पन्नत्ताओ, तं जहा - कण्हलेस्सा नीललेस्सा काऊलेस्सा x x एवं मणुस्साण वि । - ठाण० स्था ३ । उ १ । सू १८१ । पृ० २०५ मनुष्य में तीन संक्लिष्ट लेश्या होती है, यथा - कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या ! अक्लिष्ट लेश्या तीन होती है । (च) पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं तओ लेस्साओ असंकिलिट्ठाओ पन्नत्ताओ, तंजा-तेलेस्सा पहलेस्सा सुक्कलेस्सा x एवं मणुस्साण वि । - ठाण० स्था० ३ । उ १ । सू १८१ । पृ० २०५ मनुष्य में तीन असं क्लिष्ट लेश्या होती है यथा - तेजोलेश्या, पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या । २०१ संमुच्छिम मनुष्य में समुच्छिममणुस्सा पुच्छा । गोयमा ! जहा नेरइयाणं । ठाण० स्था १ । सू ५१ । पृ० १८४ मुमि मनुष्य में प्रथम की तीन लेश्या होती हैं । -- पण्ण० प १७ | उ २ । सू १३ | पृ० ४३८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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