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________________ दो शब्द स्वर्गीय श्री मोहनलालजी बांठिया तथा उनके साथियों ने जैनागम एवं वाङ्मय के तलस्पर्शी गम्भीर अध्ययन कर आधुनिक दशमलव प्रणाली के आधार पर अलग-अलग अनेक विषयों पर कोश प्रकाशित करने की परिकल्पना की और इसको मूर्तरूप देने के लिए जैन दर्शन समिति की स्थापना महावीर जयंती के दिन सन् १९६६ के दिन की गई। यह संस्था स्व० मोहनलालजी बांठिया एवं श्रीचन्द चोरड़िया द्वारा निर्मित विषयों पर कोश प्रकाशन का कार्य कर रही है । इसके द्वारा निम्नलिखित कोश प्रकाशित है जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है १ - लेश्याकोश - प्रथम पुष्प - लेश्या या अध्यवसाय का वेरोमेटर है । इस कोश में छओं लेश्याओं का विस्तृत विवेचन है । इन लेश्याओं का आगम ग्रंथों में अनेक स्थल पर उल्लेख है उसका संकलन हुआ है । Cyclopaedia of Leshya के रूप में इस ग्रन्थ का प्रकाशन हुआ है । जिससे कि 'लेश्या' विषय पर अनुसंधान करने वालों को व दर्शन शास्त्र में रूचि रखने वालों को एक ही स्थान में पर्याप्त सामग्री उपलब्ध हो सकेगी । अमेरिका के एक छात्र ने इस विषय को लेकर Ph. D. डिप्लोमा प्राप्त किया । उसके कथनानुसार इस विषय पर अध्ययन करने में 'लेश्या कोश' से भरपूर सामग्री प्राप्त हुई। २ - क्रिया कोश - द्वितीय पुष्प - इसी प्रकार क्रिया कोश में आरंभिकी आदि पचीस क्रियाओं का विस्तृत विवेचन है । क्रिया का एक रूप पुण्य पाप का बंधन है और उसका दूसरा रूप कर्म-बंधन से छुटकारा पाना है । क्रिया कोश में आगम और ग्रन्थों के आधार पर विस्तृत विवेचन है । ३ - मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास - तृतीय पुष्प - मिथ्यात्वी प्राणी का सद् आचरण श्रेष्ठ नहीं माना जाय तो उसका आध्यात्मिक विकास कैसे हो सकता है । श्रीचंद चोरड़िया ने लगभग दो सौ ग्रंथों का गम्भीर अध्ययन एवं आलोडन करके शास्त्रीय रूप में अपने विषय को प्रस्तुत किया है । अतः दलसुख भाई मालवणिया के शब्दों में यह ग्रन्थ लेश्याकोश तथा क्रियाकोश की कोटि का ही है । - ४ - वर्धमान जीवन कोश - प्रथमखण्ड – चतुर्थ पुष्प - प्रस्तुत ग्रन्थ जैन दर्शन समिति की कोश परम्परा की कड़ी में एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रन्थ है । वर्धमान जीवन कोश का यह प्रथम भाग स्व० श्री मोहनलाल जी बांठिया द्वारा संकलित एवं तैयार सामग्री का व्यवस्थित संपादित रूप है । बांठिया जी इस काम को अधूरा छोड़कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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