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________________ ( 62 ) १ - भगवान् के ग्यारह गणधरों का विवेचन २ - आर्या चन्दना जिसका तीसरा खण्ड आपके हाथों में हैं वर्धमान जीवन कोश के चतुर्थ खण्ड में भगवान महावीर के शासन के साधु-साध्वी आदि का कथा के रूप में संकलन है । वि० सं० ६८६ में हरिसेणाचार्य ने बृहत्कथा कोष साढ़े बाहर हजार श्लोकों का एक कथा ग्रन्थ रचा जो उस युग का प्रथम के नाम ग्रन्थ था । आचार्य बुद्धघोष ने गौसम बुद्ध के पूर्व भव संबंधी जीवन प्रसंगों को 'जातक अर्थ कथा' के नाम से संगृहोत किया है। चीन की दंतकथाएं प्रसिद्ध है | Folk Tales of China ] अध्ययन से मालूम पड़ता है कि अनेक कथाएं जो भारतवर्ष में प्रचलित है । इसी प्रकार वे और देशों में भी होंगी । यह सब कैसे हुआ ? यही तो कारण था, नाना पर्यटक समय-समय पर यहाँ आये और वर्षों यहाँ रहे जो कि वन्दियाँ तथा दंतकथाएँ उनके कानों में थी, वे विदेशों में पहुँच गई। उन विद्वानों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने लेश्याकोश, क्रियाकोश, मिथ्यात्वीका आध्यात्मिक विकास, वर्धमान जीवनकोश, प्रथमखंड, वर्धमान जीवन कोश, द्वितीय खण्ड पर अपनी-अपनी सम्मतियाँ भेजकर हमारा उत्साहवर्धन किया है। युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी तथा युवाचार्य श्री महाप्रवर की महान दृष्टि हमारे पर सदैव रही है जिसे हम भूल नहीं सकते । हम जैन दर्शन समिति के सभापति- श्री अभयसिंह सुराना, स्व. ताजमलजी बोथरा, उनके कनिष्ट भ्राता श्री हनुमानमल बोथरा, नेमीचन्दजी गधइया, मोहनलालजी बैद, श्री हीरालाल सुराना (मंत्री), श्री नवरतनमल सुराना, मांगीलालजी लूणिया, जयसिंहजी सिंघी, सुमेरमलजी सुराना, धर्मचन्दजी राखेचा, श्री इन्द्रमल भंडारी आदि -आदि सभी बंधुओं को धन्यवाद देते है जिन्होंने हमारे विषय कोश निर्माण कल्पना में हमें किसी न किसी रूप में सहयोग दिया है । २३-३-१६६० Jain Education International For Private & Personal Use Only - श्रीचंद खोरड़िया www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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