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________________ ( ४२० ) हि' ता किमणेहि सारीर-माणस्स - दुक्ख निबंधणेहिं भोगेहिं ? ति वेरग्गगावडिओ गओ संभूय- साहुणो समीचं । तेण चि समाइट्ठो साहु-धम्मो, पडिषण्णो भाव- सारं । भणियं ख णेण - 'जावजीवाए मासाओ मासाओ भोक्तवो' । एवं च अणाहारेण तव तबिय देही गओ महुराए । पषिठो भिक्खट्ठा - मास-पारणए । पसूय-तं (ग) वा पणोल्लियं पडियं वहण माउल-धूया - चारेजय निमित्तमागयस्स विसाद नंदिणो पुरिसेहिं कओ कलयलो इमं भणतेहि - 'कत्थतं कविट्ठ - -फल- पाडण - बलं' । मुणिय- वृत्ततो य विसाहनंदी हसिउमाढत्तो। 'अजवि एसो कयपावकम्मो ममोवरि वेराणु-बंधमुवेह । त्ति चिंतितेण बिप्फुरिय कोषानलेण सिंग्गेहि घेत्तूण भामिया सुरही साहुणा, भणियो य बिसाहनंदी - 'अरे दुरायार ! न दुब्बलस्स वि केसरिणो गोमाऊएहिं बलं खंडिज' । अहिंडिय भिक्खो पडिनियत्तो कय-भक्त-परिश्वागेण य कयं नियाणं- मणुदत्ते तचफलेण महाबलं - परकमो होजा । मओ य समाणो उप्पण्णो महासुषके । मुणिय पुष्चभव-वृत्तं तो बिहिणा विहिय- देव - काव्वो भोगे भोक्तुं पयत्तो । जहा तओ चुत्तो संतो पोयणपुरे पवावद्द - राइणो मियावईप सत्तमहासुमिणय सुरओ पढम - वासुदेवो तिबिट्टू (ट्ठ) नामो संयुक्त्तो । जहा से धूयाकामणाओ पयाचई - नामं जाय । जहा सुभद्दा गन्भुभवो अह (य) जाहिहाणो पढमबलदेवो आगओ । जहा अयलतिषिणो दो बि बस्तदेव - वासुदेवा संढिया । जहा आसग्गीवस्स निमित्तिणो पुच्छिया, पुच्छिपण मरणं सिट्ठी । त (ज) हा दूओ खलीकओ, सीहो य वाबाहओ । जहा आसग्गीवेण सह दुबालससंवच्छरिओ संगामो जाओ। जहाय आसग्गीवो बाबाओ । जहा कोडिसिला उक्खित्ता, जहा अड्ढभरहं भुक्तं, जहा सत्तम महीए गओ । जहाय अयलो सिद्धो, तहोवएसमाला - विवरणाणुसारेण नायव्वं त्ति । - धर्मो० पृ० १२४ से १२६ राजगृह नामक उत्तम नगर में विश्वनन्दी नामक राजा राज्य करता था । उसकी महादेवी नाम की पत्नी से विशाखनन्दी नामक एक पुत्र हुआ । उस राजा के विशाखभूति नामक एक छोटा युवराज था। उस युवराज की पत्नी का नाम धारिणी था। मरिचि का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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