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________________ ( ३४६ ) .८ कुछ विशिष्ट व्यक्ति .७१ भगवान् महावीर के समकालीन प्रत्येक बुद्ध की कथाएँ .१ कर-कंडु-प्रत्येक बुद्ध अंगाजणवए सग्गनयरि-संकासाए चंपाए नयरीए नरिंदलच्छि-संकेयद्वाणो दहिवाइणो राया। चेडनरिहधूया जिणवयण-भाषिय-मह सुरसुंदरि-संकासा पउमाषा से भारिया। तस्सय तीएसह घिसय-सुहं पुग्धभव-निब्धत्तिय पुण-पब्भार-जणियं तिग्गु-सारं नरलोग-सुहमणुइव-माणस्स चोलीणो कोइ कालो। अण्णया पहाण सुमिणय-पसूइया जाया आघण्ण-सत्ता । समुप्पण्णो से मणे वियप्पो नरिंद-नेषत्थालं किया करिषरारूढा जा भयायि काणणुजाणाइसु । पुच्छिया च राहणा। साहिओ पय (इ) णो डोहलयो। तओ पसत्थ-वासरे मत्त-करि परारूढा नरनाह-परिजमाण-उहडपोंडरीया नरिंदाहरण पत्थ-मल्ल-वेसालंकिया महाषिभूईए उजाणाईसु भमिडमाढत्ता। तओ कण्ण-परंपराए करकंडु-दहिवाहणाण दारुणं जुझं निसामिऊण 'मा अणक्खओ होइ' त्ति भाषिती आगया पउमाई साहुणी। भणिओ तीए एगते करकंडू राया-वस्छ ? कीस जणएण सह जुज्झसि १ तेणभणियं 'कहमेस मर्मजणओ ।' तओ साहिए सवित्थरे तीए नियय-वुत्तते पुच्छिया जणणि-जणया । तेहिं पि कहिओ परमत्थो, दावियं मुहा-रयणं। तओ अहिमाणेण भणिया पउमावई करकंडुणा कहमियाणि कय-पय (इ) णो नियत्तामि। तीए भणियं-वच्छ ! वीसत्थो हवसु, जावते जणयं पेच्छामि । गया एसा, पय (वि) हा नरिंद-मत्थाणं। निविडिऊण से चलणेसु परियणो रोषिउमाढत्तो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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