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________________ ( ४ ) तदाऽत्र षयमायाता द्वारस्थोऽस्मद्धर्म देशनाम् । भोतुं प्रचलितोऽमुश्चत्तं विप्रं निजकर्मणि ।। १२०॥ द्वारोपविष्टः स द्वारदुर्गाणामप्रतो बलिम् । जन्मादृष्टमिवाभुक्तं यथेष्टं कटित क्षुधा ॥ १२१ ॥ आकण्ठं परिभुक्तान्नदोषाद् प्रीमोमणा च सः। उत्पन्नया तृषाऽकारि मरुपान्थ इषऽऽकुलः ॥ १२२ ।। तञ्च द्वास्थमिया स्थानं त्यक्त्वा नागात् प्रपादिषु । स तु वारिचराजीवान् धन्यान्मेने तृषातुरः ॥ १२३ ।। आरटन् वारि वारीति स तृषातों व्यपद्यत । इहेष नगरद्वारपाप्यामजनि दरः ॥ १२४ ॥ विहरम्तो वयं भूयोऽप्यागमामेह पत्तने । लोकोऽस्मद् वन्दनाथं च प्रचचाल ससंभूमः ।। १२५ ।। -त्रिशलाका पर्व १०॥सर्गह लोगों के द्वारा भी प्राक्रश्यमान हुआ वह वहाँ से भागकर राजा के पास आया और बोला हे राजन् ! तुम्हारे नगर में आकर निराश्रयरूप में आजीविका के लिये भूमण करते हुए तुम्हारे द्वारपाल के आश्रय में आकर रहा। उसी समय हमारा यहाँ आना हुआ। फलस्वरूप द्वारपाल स्वयं के काम पर उस ब्राह्मण को जोड़ देकर हमारी ( भगवान महावीर ) धर्म देशना को सुनने के लिए आया । पहला विप्र दरवाजे के पास बैठा। वहाँ दुर्गा देवी के आगे बलिदान देने के लिए आया हुआ उसे देखकर अत्यन्त क्षुधा से कष्ट को प्राप्त हुआ उसे मानों जन्म में भी न देखा हो वेसे उसको पुष्कल ने खाया। तत्पश्चात् कंठ तक अन्न को भरने के दोष से इस प्रकार ग्रीष्मऋत की गरमी से दोष से उसको बहुत अधिक तृषा लगी। इस कारण मरुभूमि के पांथ की तरह वह आकुलव्याकुल हो गया। परन्तु पहले द्वारपाल के भय से वह द्वार का स्थान छोड़कर किसी भी स्थान पर भी पर्व आदि में जल पीने के लिए जा नहीं सका। वह उस समय उन जलचर जीवों से खरखर धन्य मानने लगा। अन्त में जल-जल पुकारता हुआ वह ब्राह्मण तृणात रूप में मृत्यु प्राप्त कर इस नगर के द्वार के निकट की वापी में ददुर हुआ। मैं विहार करता हुआ कौशाम्बी नगरी में आया । फलस्वरूप लोक संभ्रम से मुझे वन्दन करने के लिए आये। अस्मदागमनोदन्तं श्रुत्वाम्भो हारिणीमुखात् । स भेकोऽचिन्तयदिदं क्याप्येवं श्रुतपूयहम् ॥ १२६ ॥ . Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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