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________________ . ( २६८ ) [५८] तयणंतरं च णं नानामणि० [पृ० १२३ पं० १] जाप पीचरं पलं वामं भुयं पसारेति तओ णं सरिसयाणं सरित्तयाणं सरिघयाणं सरिसलाषण्णरूप-जोवण-गुणोववेयाणं एगाभरण० दुहतो संवेल्लियग्ग० [पृ० ४१२ १० १] आविद्धतिल-यामेलाणं पिणद्धगेवेजकंचुतीणं नानामणि-रयणभूसणषिराइयंगभंगाणंचंदाणणाणं चंदद्धसमनिलाडाणं चंदाहियसोमदंसणाणं उक्का इष उजोवेमाणीणं सिंगारा० हसिय-भणिय० [ पृ० २९ ५०१] गहियाउजाणं अट्ठसयं नहसजाणं देवकुमारआणणिग्गच्छद । [५९] तए णं से सूरियाभे देवे अट्ठसयं संखाणं विउव्यति अट्ठसयं संखवायाणं विउव्वइ, 8 अ. सिंगाणं वि० अ० सिंगवायाणं वि०, अ० संखियाणं वि० अ० संखियवायाणं वि०, अ० खरमुहीणं वि० अ० खरमुहिषायाणं वि०, अ० पेयाणं वि० अ० पेयावायगाणं वि०, अ० पीरिपीरियाणं वि० अ० पीरिपीरियावायगाणं वि०=एवमाइयाई एगूणपण्णं आउजविहाणाई घिउव्या । [६०] तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियाओ य सहावेति । तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य सूरियाभेणं देवेणं सहाविया समाणा हठ जाव-[पृ० ४७ पं० ३] जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति तेणेच उवागच्छित्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं [पृ० ६७ पं०८] जाच पद्धाषित्ता एवं वयासी-'संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! जं अम्हेहि कायवं'। [६] तए णं से सूरियाभे देवे ते बहवे देवकुमारा य देषकुमारीओ य एवं पयासी गच्छहणं तुब्भे देवाणुप्पिया ! समणं भगवंतं महाषीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेह करित्ता बंदह नमसह वंदित्ता नमसित्ता गोयमाइयाणं समणाणं निग्गंथाणं तं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवजुर्ति दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसइबद्ध णट्टविहिं उवदंसेह उवदंसित्ता खिप्पामेव एयमाणत्तियं पञ्चप्णिणह । राय० सू० ५४-६१ भगवान का उत्तर सुनकर सुर्याभदेव का चित्त आनन्दित हुआ और परम सौमनस्य युक्त हुआ। भगवान का उत्तर सुनने के बाद यह सुर्याभदेव भगवान को वंदन-नमस्कार कर इस प्रकार विनती की हे भगवन् ! आप सब जानते हो और देखते हो, जहाँ-जहाँ जो है वह सब आप जानते हो और देखते हो। सर्व काल के बनाने वालों को जानते हो, देखते हो, सर्व भावों को आप जानते हो, देखते हो। हमारी दिव्य ऋद्धिसिद्धि को, मुझे प्राप्त हुई दिव्य | ति को और दिव्य देवानुभाव को भी पहले और पीछे आप जानते हो और देखते हो-तो है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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