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________________ ( २१२ ) सन्नतीसवां नाट्य - भसोल तीसवां नाट्य-आरभडभसोलं । इकतीसा नाट्य उप्पयनिवयपवत्तं संकुचियं पसारियं रयारइयं भंतं संभतं णाम दिव्वं णविहिं उवदंसेंति । बतीसवां नाट्य तएणं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य समामेव समोसरणं करेंति जाव दिवे देवरमणे पवत्ते यावि होत्था। तएणं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स पुव्वभवच रियणिबद्ध जोव्वणवरियनिबद्ध च कामभोगचरियनिबद्ध व निक्खमणचरियनिबद्ध च तवचरणवरियनिबद्धं च णाणुप्पायवरियनिबद्ध व णाम दिव्वं णदृषिहिं उवदंसेति ॥८॥ ___तएणं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियाओ य गोयमादियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवजुर्ति दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसइबद्ध नाडयं उवदंसित्ता समणं भगवंतं महावीरं तिक्खुत्तो आयहिण-पयाहिणं करेंति करित्ता वंदंति नमसंति वंदित्ता नम सित्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छति उवासित्ता सूरियाभं देवं करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थप अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाति वद्धावित्ता एवं आणत्तियं पञ्चप्पिणंति । तएणं से सूरियाभे देवेतं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभावं पडिसाहरइ पडिसाहरेत्ता खणेणं जाते एगे एगभूए। तएणं से सूरियाभे देवे समणं भगवंत महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ चंदंति नमसति वंदित्ता नम सित्ता नियगपरिवालसद्धिं संपरिखुड़े तमेव दिव्वं जाणविमाणं दुरूहति दुरूहित्ता जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए ॥८९॥ -राय. सू ५४, ५५, ६६, से ८४, ८६ सूर्याभदेव श्रमण भगवान महावीर से अपनी जिज्ञासा भरे प्रश्नों का उत्तर सुनकर हर्ष और संतोष को प्राप्त हुआ। चित्त में आनन्दित हुआ, परम शीतल हुआ । श्रमण भगवान महावीर को वंदन, नमस्कार किया। वंदन-नमस्कार कर ऐसा कहने लगा-भगवान महावीर को। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary:org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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