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________________ ( १८६ ) और फिर उसी समय भगवान महावीर कम्पिलपुर नगर पधारे। तत्पश्चाद भमण भगवान महावीर जनपद में अन्यत्र विहार करने लगे। (ख) ततश्व काम्पिल्यपुरे जगाम विहरन् प्रभुः। सहस्राब्रवणनामन्युद्याने समवासरत् ।। ३०२॥ तत्रासीत्कामदेवद्धिगृहस्थः कंडकोलिकः। नाम्ना पुष्पेति तद् भार्या शीलालंकारशालिनी ॥३०॥ -त्रिशलाका पर्व १० सर्ग ८ अन्यथा विहार करते-करते कोपिल्यपुर पधारे और सहलाम्रवन नामक उद्यान में ठहरे । वहाँ कामदेव जेसा धनवान कुंडकौलिक गृहस्थ रहता था। :३७ शौरिकपुर नगर में तेणं कालेणं तेणं समएणं सोरियपुरं नयरं। सोरियषसगं उजाणं सोरिओ जक्खो । सोरियदत्ते राया ॥२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी सोमोसढे जाप परिसा पडिगया ॥७॥ -विवा• भु १/८ उस काल उस समय में शौरिकपुर नामक नगर था। वहाँ शौरिकावतंसक उद्यान था। उसमें शौरिक नामक यक्ष का आयतन-स्थान था। वहाँ के राजा का नाम शोरिकदत्त था। उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर पधारे। परिषद् वंदनाथ गयीवापस भी वंदनाकर आ गयी। •३८ हस्तिशीर्ष नगर में (क) तेणं कालेणं तेणं समएणं हथिसीसे नाम नयरे होत्था | xx तस्स णं हत्थिसीसस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभाए, पत्थ णं पुप्फकरंडए नाम उजाणे होत्था xxx॥ ५॥ तत्थणं हथिसीसे नयरे अदीणसत्तू नाम राया होत्था ॥७॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे। परिसा निग्गया। अदीणसत्तू जहा कृणिए तहा निग्गए ॥१२॥ तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ हथिसीसाओ नयराओ पुप्फकरंडयउजाणाओ कयवणमालपियजक्खायणाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिकनमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरद ॥२८॥ -विवा. भ / १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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