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________________ ( १८४ ) दाहज्वर में-भगवान् महावीर के विहार-स्थल --- एकदा भगवतो मेंढिकग्रामनगरे विहरतः । -ठाण० स्था हसू ६०/टीका [ लगभग छप्पन वर्ष की अवस्था में ] किसी दिन श्रमण भगवान महावीर स्वामी, भावस्ती नगरी अवस्थित 'कोष्ठक उद्यान' से वर्हिगमन कर अन्य प्रान्तों में विचरण करने लगे। उसी काल-उसी समय, मेंढिकग्राम नगर के बाह्य में, उत्तर-पूर्व दिशा मध्य, शालकोष्ठक नामक एक उद्यान अवस्थित था। वहाँ का यावत भू-भाग शिलापट थी। उस उद्यान के सन्निकट एक मालुका ( एक बीज वाले वृक्षों का वन ) महाकच्छ था, जो श्याम वर्ण, श्याम कांतिवाला, यावत महामेघ के तुल्य था। पत्र, पुष्प, फल तथा हरित वर्ण से देदीप्यमान तथा अत्यन्त सुशोभित था। उस में दिकग्राम नगर में रेवती नाम की . गाथापत्नी निवास करती थी जो आदययावत् अपरिभूत थी। अन्यदा, श्रमण भगवान महावीर स्वामी अनुक्रम से विहार करते हुये मैदिकग्राम नगर के वाह्यावस्थित उस 'शालकोष्ठक उद्यान' में पधारे । परिषद् वंदना कर लोट गई । .३३ ऋषभपुर नगर में तेणं कालेणं तेणं समएणं उसभपुरे नयरे। थूभकरंडग उज्जाणं । धण्णो जक्खो । धणावहो राया। सरस्सई देवी।xxx। सामीसमोसरणं ।xxx। -विवा० श्रु २/२ उस काल-उस समय में, ऋषभपुर नामक नगर था। वहाँ पर स्तुपकरंडक नामक उद्यान था । धनावह नाम का राजा राज्य करता था। उसकी सरस्वती नाम की रानी थी। वहाँ महावीर स्वामी का पदार्पण हुआ। .३४ मथुरा नगरी में तेणं कालेणं तेणं समएणं महुरा नाम नगरी। भंडीरे उजाणे । सुदरिसणे जक्खे । सिरिदामे राया। बंधुसिरि भारिया।xxx। तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे । परिसा निग्गया, राया निग्गओ जाव परिसा पडिगया ॥६॥ -विवा० श्रु १/अ६ उस काल-उस समय में मथुरा नाम की एक सुप्रसिद्ध नगरी थी। वहाँ भंडीर नाम का उद्यान था। उसमें सुदर्शन नाम यक्ष का यक्षायतन-स्थान था। वहीं श्रीदाम का राजा राज्य करता था। उसकी बंधु श्री नाम की रानी थी। उस काल-उसी समय में श्रमण भगवान महावीर वहाँ पधारे । परिषद् भगवान के वंदनार्थ आयी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jatnelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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