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________________ ( 23 ) क्रीड़ा करने गया । उस समय 'वीरक' माली की पत्नी 'वनमाला' को राजा ने देखा । देखते ही राजा उसे पाने के लिए ललचा उठा । कामान्ध बने राजा ने 'वनमाला' का अपहरण करवा लिया और 'वीरक' को धक्का देकर निकाल दिया । 'वीरक' को यह सारा दृश्य देखकर बहुत दुःख हुआ। अपनी पत्नी के वियोग में पागल बना नगर में घूमने लगा । “हा वनमाला ! हा वनमाला !” करता है परन्तु उसका दुःख मिटाने वाला कौन ? __ एक दिन की बात 'वीरक' विलाप करता हुआ, महलों के नीचे से गुजरा। ऊपर महलों में 'वनमाला को लिए हुए महाराजा सुमुख बैठा था। ज्योंही उसके कान में 'वनमाला' का नाम पड़ा वीरकको देखा, सहसा उसकी भावना बदली । सोचा-मैंने उसकी पत्नी का अपहरण किया तो सचमुच अन्याय ही। इतने में अकस्मात् बिजली गिरी। वे दोनों भरकर 'हरिवर्ष क्षेत्र' में युगल रूप में पैदा हुए। उधर वीरक मरकर सौधर्म देवलोक में "किल्विषिक' देव हुआ। अवधिज्ञान से अपने पूर्वभव को देखा तो 'सुमुख' और 'वनमाला' को युगल रूप में पाया। 'वीरक' ने सोचा --इनसे बदला तो अवश्य लेना है। यदि वे यहाँ से मरेंगे तो देवरूप में पैदा होंगे। अतः प्रतिशोध लेने के लिए उम युगल भरतक्षेत्र में 'चम्पापुर' में ला बैठाया और 'चंपापुर' का राजा-रानी बना दिया। आकाशवाणी से कहा-'इस युगल को मैं 'हरिवर्ष क्षेत्र' से लाया हूँ। वे सर्वथा राजा बनने योग्य है । इन्हें पशु, पक्षियों का मांस खूब खिलाना । देव ने अपनी शक्ति से उस युगल के शरीर का प्रमाण भी कम कर दिया। उसका नाम यहाँ हरिराजा रखा । यहाँ से मरकर नरक में गया। इसी हरिराजा के नाम पर हरिवंश चला। महाराज चेटक बैशाली के एक कुशल शास्ता थे। बैशाली गणतन्त्र में ६ मल्ली ह लिच्छवी जाति के १८ राजा थे। उन सबके प्रमुख थे-महाराज 'चेटक' । भगवान् महावीर के ये मामा थे। ये केवल जैनधर्मी ही नहीं अपितु बारह व्रतधारी श्रावक भी थे। उन्हें अनेक राजाओं के साथ युद्ध में उतरना पड़ा। इतना संकल्प था कि निरपराधी पर ये प्रहार नहीं करते थे तथा एक दिन में एक बार एक बाण ही छोड़ते। इनका निशाना अचू रहता। कूणिक के साथ किये गये महा भयंकर युद्ध में दस दिनों में कालिककुमार आदि दस भाइयों को इन्होंने एक बाण छोड़कर दस दिन में समाप्त कर दिया था। इतिहास प्रसिद्ध चेटक-कृणिक युद्ध को देवेन्द्रों की सहायता से कणिक ने जीत लिया। वहाँ इन्हें विजित होना पड़ा फिर भी अपनी नीतिमत्ता से ये पीछे नहीं हटे। विरक्त होकर इन्होंने समाधि मरण किया और बारहवें स्वर्ग में गये । महाराजा चेटक के सात पुत्रियों थी। जिनका वैवाहिक सम्बन्ध जैनधर्मावलम्बी बड़े-बड़े नरेशों के साथ किया गया-जो यों है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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