SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 253
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १७० ) x . तत्रैवानन्दतुल्यद्धि ह्यासील्लान्तिकापिता ॥३३४॥ –त्रिशलाका पर्व १०/सर्ग ___ एकदा प्रभु विहार करते करते श्रावस्तीपुरी पधारे। वहाँ कोष्ठक नामक पवन में विराजे। उपनगरी में नंदिनी पिता नामक एक गृहस्थ रहता था। दूसरे ग्रहस्थ का नाम लांतक पिता था। उनकी ऋद्धि आनंद के समान थी। (च) तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नयरी | xxx ॥२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे ॥७॥x xx। तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णदाकदाइ सावत्थीए नयरीए कोढयाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥१५॥ --उवा० अ०६ उस काल-उस समय में श्रावस्ती नगरी थी। वहाँ भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। उस काल-उस समय में, भगवान महावीर अन्यदा श्रावस्ती नगरी के कोष्ठक चैत्य से निकल कर बाहर जनपद में विहार करने लगे। (छ) तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नयरी। xxx२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे ॥७॥ तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ सावत्थीए नयरीए कोढयाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरह ॥१५॥ --उवा० अ १० उस काल उस समय में श्रावस्ती नगरी थी। भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। तत्पश्चात श्रमण भगवान महावीर अन्यदा श्रावस्ती नगरी के कोष्ठक चैत्य से निकल कर बाहर जनपद में विहार करने लगे। २० आलंभिया नगरी में (क) ततश्च विहरन् स्वामी पुरीमालभिकां ययौ । तत्र शंखवनोधाने भगवान् समवासरत् ।२९९। पूर्या तत्राभवच्चुल्लशतिको नामतो गृही। कामदेवसमस्त्वृद्ध या बहलेति य तत्प्रिया ॥३०० ॥ –त्रिशलाका पर्व १०/सर्ग८ वीर भगवान काशी नगरी से विहार कर आलं भिका नगरी पधारे। वहाँ शंख नामक उद्यान में ठहरे। उस नगरी में चुल्लशतक नामक गृहस्थ रहता था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy