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________________ उस काल उस समय में पोलासपुर नाम का नगर था। वहाँ सहस्र बबननामक उद्यान था। उस काल-उस समय में भ्रमण भगवान महावीर जहाँ पोलासपुर नगर था-जहाँ सहस्रव उद्यान था-वहाँ आये। आकर यथा प्रतिरूप अवग्रह धारण कर संयम और तप से अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरने लगे। इतश्च पोलासपुरे गोशालोपासकोऽवसत् । शब्दालपुत्रः कुलालऽमित्रा तस्य च प्रिया ॥३०५॥ विचिन्त्यैवं स्थिते तस्मिन् प्रातस्तत्र समागतः । श्रीवीरः समवासार्षीत् सहस्राम्रवणे वने ॥३१॥ -त्रिशलाका• पर्व १०/सर्ग पोलासपुर नगर में शब्दालपुत्र नामक एक कुंभकार रहता था। वह गोशालक का उपासक था। उसकी अग्निमित्रा स्त्री थी। उस समय वीर प्रभु उस नगरी के सहस्राम्र वनोद्यान में पधारे। (ग) तएणं कलौंजाव जलं ते समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए (पोलासपुरे नयरे) उवा. ७/४ श्रमण भगवान का पोलासपुर नगर में पदार्पण हुआ। (घ) तएणं से गोसाले मंखलिपुत्ते इमीसे कहाए लद्ध? समाणे-xxx जेणेव पोलासपुरे नयरे जेणेव आजीवियसभा तेणेव उवागच्छइ ।x x x | सहालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी-आगएणं देवाणुप्पिया ! इहं माहमाहणेxxxसमणे भगवं महावीरे महामाहणे । -उवा० अ ७/१८ मंखलीपुत्र गोशालक पुलासपुर नगर में सद्दालपुत्र के पास आया। सद्दालपुत्र ने मंखलिपुत्र गोशालक को कहा-यहाँ महा माहण-(श्रमण भगवान महावीर का बागमन हुआ था। १८ कौशाम्बी पदार्पण(क) एवं च बोधयन् भव्यानम्भोजानीव भास्करः । भूयो जगाम कौशाम्बी नगरी परमेश्वरः ॥३३७॥ प्रभोश्वरमपौरुष्यां पन्दनायेण्दुभास्करौ। स्वाभाविकविमानस्थौ तस्यां युगपदेयतुः ॥३३८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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