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________________ ( १६५ ) (थ) आनंद श्रावक के अवधिज्ञान के पश्चात् भगवान् का वाणिज्यग्राम से विहार___ तएणं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ बहिया जणवय विहार विहरइ । --उवा० अ१ कुछ समय पश्चात् भगवान महावीर वाणिज्यग्राम से अन्यत्र देशों में विहार कर गये । और धर्म प्रचार करते हुए विचरने लगे। १७ पोलासपुर पदार्पण (क) तेणं कालेणं तेणं समएणं पोलासपुरे नगरे। सिरिवणे उजाणे ॥७॥ तत्यणं पोलासपुरे नयरे विजयेणामं राया होत्था ॥७२॥ xxx ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव सिरिवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ ॥७५॥ -अंत व ६/अ १५ उस काल-उस समय में पोलासपुर नगर था। वहाँ श्रीवन नाम का उद्यान था । उस पोलासपुर नगर में विजय नाम का राजा था। उप काल-उसी समय श्रमन भगवान महावीर ग्रामानुग्राम विचरते हुए पोलासपुर नगर के श्रीवन उद्यान में पधारे। आकर यथारूप अवग्रह ग्रहण कर संयम और तप से अपनी आत्मा को भावित कर विचरने लगे। भगवान के विहार स्थल (ख) तेणं कालेणं तेणं समएणं पोलासपुरं नाम नयरं। सहस्संबवणं उजाणं ।xxx। __ समणे भगवं महावीरे जाव (जेणेव पोलासपुरे नयरे जेणेव सहस्संबवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवासा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥१२॥) तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णदाकदाइ पोलासपुराओ नगराओ सहस्संबवण्णओ उजाणाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय विहारं विहरइ ॥३९॥ -उवा० अ०७ For Private & Persörrai Use only. Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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