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________________ ( १६१ ) उस काल उस समय में भ्रमण भगवान् महावीर का पदार्पण हुआ। परिषद् निकली । धर्मकथा कही । - १६ अन्यान्य देशों में विहार (क) पण समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाई रायगिहाओ णयराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । - अंत० व ६ / ३ / सू ५८ इसके बाद अर्जुलमाली को दीक्षित करने के बाद किसी समय श्रमण भगवान् महावीर राजगृह नगर के गुणशिलक उद्यान से निकलकर ब हर जनपद में विचरने लगे । (ख) तीर्थंकर काल का - प्रथम वर्ष का विहार -- मेघकुमार को पहली तथा दूसरी बार प्रव्रज्या देने के बाद तपणं समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नगराओ गुणसिलाओ चेहयाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय विहारं विहरइ | - नाया० श्रु १ / अ २ तत्पश्चात् श्रमण भगवान् महावीर राजगृह नगर से, गुणसिलक चैत्य से निकले । निकलकर बाहर जनपदों में विहार करने लगे-- विचरने लगे । (ग) पोलासपुर नगर में विहार तणं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पोलासपुराओ नयराओ सहस्संबं वण्णओ पडिनिग्गच्छर, पडिनिग्गच्छित्ता बहिया जणवयबिहार बिहारs | - उवा० अ ७/सू ११ श्रमण भगवान महावीर अन्य कोई दिवस पोलासपुर नगर से और सहस्राम्रवन उद्यान से निकलकर बाहर के देशों में विचरने लगे । (घ) देश-पर्वत - नगरादि में विहार विश्वभव्योपकारार्थं व्रजत्येष नमोऽङ्गणे । नानादेशाद्विपूर्यादिन धर्मं चक्रपुरः सरः ॥ Jain Education International - वीरवर्धच ० अधि १६ / श्लो ५४ सदैव धर्म चक्र जिनका अनुगामी है; ऐसे वीर पुत्र ने, संसार के समस्त जीवों के उपकार हेतु, गगनाङ्गण में भ्रमण करते हुये अनेकानेक देश, पर्वतांचल एवम् नगरादि में बिहार किया । २१ For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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