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________________ ( १६० ) .१५ मिथिला नगरी में (क) तेणं कालेणं तेणं समपणं महिलाए णाम जयरीए होत्था । वण्णओ। तीसेणं महिलाए णामं णयरिए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए एत्थणं माणिभद्दे णामं चेइए होत्था । चिराइए वण्णओ। तीसेणं महिलाए णयरिए जियसत्त णामं धारिणी देवी। वण्णभो। तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे परिसा णिग्गया, धम्मकहिओ, परिसा पडिगया । -सूर० सू १/प्रा २/प्रा १/प्रा १ उस काल उस समय में मिथिला नाम की नगरी थी। उस मिथिला के बाहर उत्तरपूर्व दिशामें माणिभद्र नाम का चैत्य था । चिरातवन था। मिथिला नगरी का राजा जितशत्रु था। धारिणी देवी थी। उस काल उस समय में भगवान महावीर पधारे। परिषद् वंदनार्थ निकली । धर्मकथा कही । परिषद् वापस गयी। (ख) तेणं काले तेण समएणं तम्मि उजाणे सामी समोसढे, परिसा णिग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया जाव राया जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए। चंद० सू० ५/प्रा १/प्रा १ उस काल उस समय में मिथिला नाम की नगरी थी। तम्मि नामक उद्यान था । उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर पधारे । परिषद् व राजा वंदनार्थ गये । (ग) तेणं कालेण समएण मिहिला णाम नगरी होत्था–वण्णओ। माणिभहे चेतिए-वण्णओ। सामी समोसढे, परिसा निग्गया। - भग• श ६/उ१/सू १/पृ० ३६६ उस काल उस समय में मिथिला नाम की नगरी थी। वहाँ माणिभद्र नाम का चैत्य ( उद्यान ) था। वहाँ भमण भगवान महावीर स्वामी पधारे । परिषद् वंदन के लिए निकली। (घ) तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला णाम णयरी होत्या । रिद्धिस्थिमियसमिद्धा वण्णओ, तीसेण महिलाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थण माणिभद्दे णामं चेइए होत्था, वण्णओ। जियसत्तू राया, धारिणी देवी, वण्णओ। तेण कालेण तेण समएण सामी समोसढे, परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया। जंबूसू १/६ उस काल उस समय में मिथिता नाम की नगरी थी । ऋद्धि-समृद्ध वाली थी। उस मिथिला नगरी के उत्तर-पूर्व दिशा में माणिभद्र नाम का चैत्य था। जितशत्रु राजा था। धारिणी देवी थी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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