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________________ ( ११६ ) अंतपुर स्थित सुभद्रा प्रमुख देवियों का भगवान को वंदनार्थ जाना तप णं ताओ सुभद्दष्पमुहाओ देवीओ अंतोअंतेउरंसि व्हायाओ कयबलिकम्माओ कय- कोउय- मंगल - पायच्छित्ताओ सव्वालंकार विभूसियाओ बहूहि खुज्जाहिं खिलाईहिं वामणीहि वडभीहिं बब्बरीहिं पउसियाहि जोणियाहि पल्हवियाहि ईसिणियाहि थारुहणियाहि लासियाहिं लउसियाहि सिंहलीहि दमिलीहिं आरबीहिं पुलिंदीहिं पकणीहि बहलीहि मरुडीहिं सबरीहिं पारसीहिं णाणादेसीहि विदेसपरिमंडियाहिं इगिय- चिंतिय-पत्थिय-वियाणियाहिंसदेसणेवत्थ-गहिय-वेसाहिं चेडियाचकवाज - वरिसश्वर-कंचुइज - महत्तर- वंदपरिक्खिताओ अंतेराओ निग्गच्छंति, २ न्ता जेणेव पाडियक्कजाणाइ' तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छिता पाडियक्क पाडियक्काई जत्ताभिमुहाइ जुत्ताइ जाणाइ दुरुहंति, दुरुहित्ता णियगपरियालसद्धिं संपरिवुडाओ. चंपाए, जयरीए मज्झमज्झेणंनिग्गच्छंति, निग्गच्छिन्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेच उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणस्स भगओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्तादीए तित्थयराइसेसे पासंति, पासित्ता पाडियक्क - पाडियक्काइ' जाणाइ' ठवेंति, ठवेत्ता जाणेहिंतो पश्चोरुहंति, २ ता बहूहि खुजाहिं (जाव ) चेडियाचक्कवाल - वरिसधर-कंचुइज - महत्तर-वंद परिक्खित्ताओ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता समणं भगवं महावीरं पंचविणं अभिगमेणं अभिगच्छंति, तंजहा - सचित्ताणं दव्वाणं विओसरणयाए अवित्ताणं दव्वाणं अविओसरणयाए षिणओणयाए गाय लट्ठीए चक्खुप्फासे अंजलिपग्गेहणं मणसोएगत्तिभावकरणेणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो आयाहिण-पयाहिणं करेंति, २ त्ता बंदंति णमं संति, वंदित्ता णमं सित्ता कूणियरायं पुरओकट्टु ठिइयाओ चेव सपरिवाराओ अभिमुद्दाओ विणणं पंजलिकडाओ पज्जुवासंति । - ओव० सू ७० तब ( - भगवान के आगम की सूचना मिलने पर ) अंतः पुर में निवास करने वाली सुभद्रा प्रमुख देवियों ने स्नान किया । • यावत् प्रायश्चित्त किया और वे सभी अलंकारों से विभूषित हुई । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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