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________________ ( १०२ ) यावत् गगनतल को स्पर्श करती हुई वैजयन्ती ( ध्वजा ) चली । उच्चारण करते हुए अनुक्रम से चले । इसके बाद उग्रकूल, भोगकूल में उत्पन्न पुरुष यावत महापुरुषों के समूह जमालीकुमार के आगे पीछे और आसपास चलने लगे । तएण से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया पहाए कयबलिकम्मे जाधविभूसिए हत्यिक्खंधचरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्ते गंधरिजमाणेणं सेयवरचामराहिं उद्धव्वमाणीहिं हयगय रह - पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणा सद्धि संपरिवुडे, मइयाभडचडगर जाय परिक्खित्ते जमालिस खत्तियकुमारस्स पिट्ठओ अणुगच्छइ । लोग जय जयकार का - तपणं तस्स जमालिस खत्तियकुमारस्स पुरओ महं आसा, आसवरा, उभओपासि णागा नागवरा, पिट्ठओ रहा, रहसं गेल्ली । तणं से जमाली खत्तियकुमारे अन्भुग्गतभिंगारे, परिगहियतालियंटे, ऊसवियसे यछत्ते, पवीइयसे यचामरवालवीयणनीए, सव्वड्ढीप जाधणाइयरवेणं तयानंतर च बहवे लट्टिग्गाहा कुंतग्गाहा जाव पुत्थयग्गाहा, जाध वीणग्गाहा तयानंतर व णं अट्ठसयं गयाणं, अट्ठसयं तुरयाणं अट्ठसयं रहाणं, तयानंतरं व णं लउड सिकोंत हत्थाणं पायत्ताणीणं पुरओ संपट्ठियं तयानंतरं च णं बहवे राईसरतलवर जाव सत्यवाहष्पभिइओ पुरओ संपदिआ खत्तियकुंङग्गाम णयरं मज्झमज्झेणं जेणेव माहणकुंडग्गामे णयरे, जेणेव बहुसालए चेहए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पाहारेत्थ गमणाए । - भग० श ६ / उ ३३ सू २०५ से २०७ जमाली कुमार के पिता ने स्नानादि किया, यावत् विभूषित होकर हाथी के उत्तम कंधे पर चढ़ा | कोरण्टक पुष्प की माला से युक्त छत्र धारण करते हुए, दो श्वेत चामरों से बिजाते हुए, घोड़ा, हाथी, रथ और सुभटों से युक्त, चतुरंगिनी सेना सहित और महासुभटों के वृन्द से परिवृत्त जमालीकुमार के पिता, उसके पीछे चलने लगे । चले । जमालीकुमार के आगे महान और उत्तम घोड़े, दोनों और उत्तम हाथी, पीछे रथ और रथ का समूह चला। इस प्रकार ऋद्धि सहित यावत् वादिन्त्र के शब्दों से युक्त जमालीकुमार चलने लगा । उसके आगे कलश और तालवृन्त लिये हुए पुरुष चले । उसके सिर पर श्वेत छत्र धारण किया हुआ था। दोनों ओर श्वेत चामर और पंखे बिजाये जा रहे थे । Jain Education International इनके पीछे बहुत-से लकड़ी वाले, भालावाले, पुस्तकवाले यावत् वीणावाले पुरुष उनके पीछे एक सौ आठ हाथी, एक सौ आठ घोड़े और एक सौ आठ रथ चले । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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