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________________ ( ८२ ) प्रकार बयालीस वर्ष तक श्रामण्य पर्याय का पालन कर, बहत्तर वर्ष की पूर्णायु पालकर वे सिद्ध, बुद्ध, मुक्त, परिनिवृत्त होंगे तथा समस्त दुःखों का अंत करेंगे । संगहणी-गाहा जस्सील-समायारो, अरहा तित्थंकरो महावीरो। तस्सील-समायारो, होतिउ अरहा महापउमो ॥ अर्थात् जैसा भगवान महावीर का आचार था-वैसा ही अर्हत महापद्य का होगा। २. महापद्म की प्ररूपणा (क) से जहाणामए अजो! मए समणाणं निग्गथाणं एगे आरंभठाणे, पण्णत्ते । एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं निग्गंथाणं एगं आरंभठाणं पण्णवेहिति । -ठाण० ठा ६/सू ६२/पृ ८६७ आर्यों ! मैंने श्रमण-निर्ग्रन्थों के लिए एक आरंभ स्थान का निरूपण किया है। इसी प्रकार अर्हत् महापद्म भी श्रमण-निर्ग्रन्थों के लिए एक आरंभस्थान का निरूपण करेंगे। (ख) से जहाणामए अजो ! मए समणाणं णिग्गंथाणं दुविहे बंधणे पण्णत्ते, तंजहा-. पेजबंधणे य, दोसबंधणे य । . एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं निग्गथाणं दुविहं बंधणं पण्णवेहिति । तंजहापेजबंधणं च, दोस बंधणं च।। -सू ६२/८६७ आर्यों ! मैंने श्रमण-निर्ग्रन्थों के लिए दो प्रकार के बंधनों-प्रेयस्-बंधन और द्वेषबंधन का निरूपण किया है। इसी प्रकार अर्हत् महापद्म भी श्रमण निग्रंन्यों के लिए दो प्रकार के बंधनों-प्रेयस्-बंधन और द्वेष-बंधन का निरूपण करेंगे। (ग) से जहाणामए अजो१ मए समणाणं निग्गंथाण तओ दंडा पण्णता, तंजहा-मणदंडे, वयदंडे, कायदंडे । ____ एवामेव महापउमेवि अरहा समणाण णिग्गंथाण तओदंडे पण्णवेहिति, तंजहा–मणोदंडं, वयदंडं, कायदंडं। -सू ६२/८६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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