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________________ वर्धमान जीवन-कोश तहो संभूउ पुत्तु पयणिय-दिहि थावरुणामें जुइ-णिज्जिय-सिहि । -वड ढमाणच० संधि २ । कड २२ विद्याधरों के लिये प्रियंकर, भरतक्षेत्र स्थित मगधदेश के सुखकारी राजगृह नगर में शाण्डिल्यायन नाम का एक विप्र रहता था, जो यज्ञ-विधानादि गुणों का भाजन था। उसकी पारासरी नाम की कान्ता थी। वह ऐसी प्रतीत होती थो-मानो साक्षात् आयी हुई गगानदी ही हो। उन दोनों के धैर्य को प्रकट करने वाला, अपनी युति से शिखी को निर्जित करने वाला स्थावर नाम का ( वह माहेन्द्रदेव ) पुत्र उत्पन्न हुआ। १६ ब्रह्मलोक कल्प देव अथवा माहेन्द्र कल्प देव भव में (क) +++ थावरो ++ + बंभलोगम्मि । -आव० निगा० ४४३ पूर्वाध (ख) मलयटीका-+++ स्थावरों + + + मृत्वा ब्रह्मलोकेऽजघन्योत्कृष्टस्थितिर्देवः सञ्जातः । (ग) चतुस्त्रिंशत्पूर्वलक्षायुष्कः सोऽपित्रिदंड यभूत् । विपद्य च ब्रह्मलोके मध्यमायुः सूराऽभवत् ।। ८४ ॥ -त्रिशलाका० पर्व १० । सर्ग १ (घ थावरो णाम बंभणो +-++ मरिऊण बंभलोए मज्झिमहिईओ देवो समुप्पण्णो । -चउप्पन्न० पृ० ६७ भगवान महावीर का जीव स्थावर ब्राह्मण भव को आयुष पूर्ण करके ब्रह्मदेवलोक में मध्यम स्थिति के देवरूप में समुत्पन्न हुमा। च) तत्रापि प्राक् स्वमिथ्यात्वसंस्कारेण मुदाददे। परिव्राजकदीक्षां स कायक्लेशपरायणः ॥ ४ ॥ तेनाङ्गक्लेशपाकेन मृत्वासीदमरो दिवि । माहेन्द्र सप्तवाायुः सोऽल्पश्रीसुखभोगभाक् ।। ५ ।। -वीरच० संधि ३ (छ) परिव्राजकदीक्षायामासक्ति पुनरादधत् । सप्राब्ध्युपमितायुष्को माहेन्द्र समभून्मरुत् ॥ ८५ ।। -उत्तपु० पर्व ७४ वहाँ पर भी अपने पूर्व मिथ्यात्व के संस्कार से स्थावर ने सहर्ष परिव्राजक दीक्षा ग्रहण कर ली और कायक्लेश में पारायण होकर नाना प्रकार के खोटे तप करने लगा। उस कायक्लेश के परिपाक से आयु के अन्त में मसकर वह माहेन्द्र स्वर्ग में सात सागरोपय आयु का धारक और अल्प लक्ष्मी के सुख का भोगने वाला देव हुआ। (ज) भयव-भणिउ रुउचिरु विरएविणु । बम्हलोइ सो पत्तु मरेविणु। दह-सायर-संखा-पमियाउसु अइ-मणहरु णं अहिणउ पाउसु ।। सह-भव दिव्वाहरण पसाहिउ सुर-सीमंतिणि नियरा राहिउ । -वडढमाणच. संधि २ । कड २२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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