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________________ वर्धमान जीवन - कोश • २१ गणधर और वर्षावास : जहा णं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे वीइक्कंते (सत्तरिए राई दिएहिं सेसेहिं) वासावासं पज्जोसवेइ तहाणं गणहरा वि वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पज्जोसविंति । - सम० सम ७० / सू १, कप्प० सू २२६ / १०६६ जिस प्रकार श्रमण भगवान महावीर वर्षा ऋतु के बीस दिन रात सहित एक मास व्यतीत होने पर वर्षावास किया उसी प्रकार गणधरोंने भी वर्षाऋतु के बीस दिन-रात सहित एक मास व्यतीत होने पर वर्षावास किये । . २२ भगवान के गणधरों का परिनिर्वाण : सव्वे एए समणस्स भगवओ महावीरस्स एक्कारस वि गणहरा दुवालसंगिणो चोद्दसपुव्विणो समत्तगणिपिडगधरा रायगिहे नगरे मासिएणं भत्तिएण अपाणएणं कालगया जाव सव्वदुक् बप्पहीणा । थेरे इंदभूई थेरे अज्ज हम्मेसिद्धिंगए महावीरे पच्छा दोन्नि वि परिनिव्वुया । - कप्प० सू० २०३ श्रमण भगवान महावीर के इन्द्रभूति आदि ग्यारह गणधर द्वादशांगी के ज्ञाता थे और चतुर्दश पूर्वी के वेत्ता थे और समग्र गणिपिटक के धारक थे । वे सर्व गणधर राजगृह नगर में एक महिना का अनशन कर कालधर्म को प्राप्त हुए यावत् सर्व दुःखों का अन्त किया । नोट -- भगवान महावीर के परिनिर्वाण के बाद स्थविर इन्द्रभूति तथा आर्य सुधर्मा दोनों गणधर परिनिर्वाण को प्राप्त हुए । .२३ भगवान् के अंतिम समय - काल में - सिर्फ दो गणधर थे Jain Education International 11 यातेषु गौतमसुधर्म मुनीन्द्रवर्ज । मोक्षश्रियं गणधरेषु नवस्वथोच्चैः । स्वामी सुरासुरनभचर सेव्यमान । पादो जंगाम भगवान्नगरीमपापाम् ॥ - त्रिशलाका० पर्व १० / सर्ग १०२ / श्लो ४४० वर्धमान जब अंतिमकाल में अवापा नगरी पधारे थे उस समय गौतम और सुधर्म गणधर के अतिरिक्त अन्य गणधर मोक्ष प्राप्त कर चुके थे । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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