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________________ १७४ वर्धमान जीवन-कोश .५ भगवान महावीर से उपदिष्ट एवं अनुमत पाँच स्थान पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णिच्चं वण्णिताइं णिचं कित्तिताई णिचं बुइयाइं णिचं पसत्थाई णित्त्वं अब्भणुण्णाताई भवंति, तंजहा-उवणिहिए, सुद्धसणिए, संखादत्तिए, दिट्ठलाभिए, पुठ्ठलाभिए । -ठाण० स्था ५/उ १/सू ३८/पृ० ६८५ श्रमण भगवान महावीर ने श्रमण निर्ग्रथों के लिए पाँच स्थान सदा वणित किये हैं, प्रशंसित किये हैं, अभ्यनुज्ञात किये हैं। १-औपनिधिक-पास में रखे हए भोजन को लेनेवाला। २-शुद्धषणिक-निर्दोष या व्यंजन रहित आहार लेनेवाला। ३-संख्यादत्तिक–परिमित दत्तियों का आहार लेनेवाला। ४-दृष्टलाभिक-सामने दीखने वाले आहार आदि को लेनेवाला । ५-पृष्टलाभिक-'क्या भिक्षा लोगे' यह पूछे जाने पर ही भिक्षा लेनेवाला। .६ भगवान महावीर से उपदिष्ट एवं अनुमत पाँच स्थान पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णिच्चं वण्णिताई णिच्वं कित्तिताई णिच्चं बुइयाई णिच्वं पसत्थाई णिच्चं अन्भणुण्णाताई भवंति, तंजहा-आयंबिलिए, णिव्विइए, पुरिमड्ढिए, परिमितपिंडवातिए, भिण्णपिंडवातिए। -ठाण० स्था ५/उ १/सू ३६/पृ० ६८५ श्रमण भगवान महावीर ने श्रमण निम्र थों के पाँच स्थान सदा वर्णित किये हैं-कीर्तित किये हैं, प्रशंसित किये हैं, अभ्यनु ज्ञात किये हैं। १-आचाम्लिक-ओदन, कुल्माष आदि में से कोई एक अन्न खाकर किया जानेवाला तप २-निविकृतिक-घृत आदि विकृति का त्याग करनेवाला ३-पूर्वाधिक-दिन के पूर्वार्ध में भोजन नहीं करनेवाला । ४-परिमित द्रव्यों की भिक्षा लेनेवाला ५-भिन्नपिंडपातिक-भोजन के टुकड़ों की भिक्षा लेनेवाला। .७ भगवान महावीर से उपदिष्ट एवं अनुमत पाँच स्थान पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गथाणं णिच्चं वण्णिताइं णिचं कित्तिताई णिचं बुइयाई णित्त्वं पसत्थाई णिच्चं अब्भगुण्णाताई भवंति, तंजहा-अरसाहारे, विरसाहारे, अंताहारे, पंताहारे, लूहाहारे ।। ठाण० स्था५/उ १/सू ४०/पृ०६८५-८६ श्रमण भगवान् महावीर ने श्रमण निग्रंथों के लिए पाँच स्थान सदा वणित किये हैं--कीर्तित किये हैं, व्यक्त किये हैं, प्रशंसित किये हैं, अभ्यनुज्ञात किये हैं १-अरसाहार-हींग आदि के बाधार से रहित भोजन लेनेवाला। २-विरसाहार-पूराने धान्य का भोजन करनेवाला । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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