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________________ वर्धमान जीवन-कोश १७३ '२ भगवान से उपदिष्ट एवं अनुमत पाँच स्थान पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णिच्चं वण्णिताइं णिचं कित्तिताई णिच्चं बुइयाई णिच्चं पसत्थाई णिच्चं अब्भगुण्णाताई भवंति, तंजहा-सच्चे, संजमे, तवे, चियाए, बंभचेरवासे। –ठाण० स्था ५/उ १/सू ३५/पृ० ६८५ श्रमण भगवान् महावीर ने श्रमण निर्ग्रन्थों के लिए पाँच स्थान सदा वर्णित किये हैं, कीर्तित किये हैं, व्यक्त किये हैं, प्रशंसित किये हैं, अभ्यनुज्ञात (अनुमत) किये हैं सत्य, संयम, तप, त्याग, और ब्रह्मचर्य-वास । '३ भगवान से उपदिष्ट एवं अनुमत पाँच स्थान पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णिच्चं वण्णिताई णिच्वं कित्तिताई णिचं बुइयाइं णिचं पसत्थाई णिच्चं अब्भणुण्णाताई भवंति, तंजहा-उक्खित्तचरए, णिक्खित्तचरए, अंतचरए, पंतचरए, लूहचरए । -ठाण० स्था ५/उ १/सू ३६।पृ० ६८५ श्रमण भगवान महावीर ने श्रमण निर्ग्रन्थों के लिए पाँच स्थान सदा वर्णित किये हैं, कीर्तित किये हैं, व्यक्त किये हैं, प्रशंसित किये हैं, अभ्यनुज्ञात किये हैं (१) उत्क्षिप्तचरक-पाक-भाजन से बाहर निकाले हुए भोजन को ग्रहण करने वाला। (२) निक्षिप्तचरक-पाक-भाजन में स्थित भोजन को ग्रहण करने वाला। (३) अन्त्यचरक-बचा-खुचा भोजन ग्रहण करने वाला। (४) प्रान्त्यचरक-बासी भोजन ग्रहण करने वाला। (५) रूक्षचरक-रूखा भोजन ग्रहण करने वाला। .४ भगवान से उपदिष्ट एवं अनुमत पाँच स्थान पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णिचं वण्णिताई णिच्वं कित्तिताई णिचं बुइयाई णिचं पसस्थाइ णिचं अब्भगुण्णाताई भवंति, तंजहा-अण्णातचरए, अण्णइलायचरए, मोणचरए, संसट्टकप्पिए, तज्ज. तसंसट्ठकप्पिए । -ठाण० स्था ५/उ १/सू ३७/पृ० ६८५ श्रवण भगवान महावीर ने श्रमण निग्रंथों के लिए पाँच स्थान सदा वणित किये हैं, कीर्तित किये हैं, व्यक्त किये हैं, प्रशंसित किये है, अभ्यनुज्ञात किये हैं १-अज्ञात परक-जाति, कुल आदि को बताये बिना भोजन करनेवाला । २-अन्नगलाय चरक-विकृत अन्नको लानेवाला ३-मौनचरक-बिना बोले भिक्षा लेनेवाला ४- संसृष्ट कल्पिक-लिप्त हाथ या कड़छी आदि से लेनेवाला। ५-सज्जातसंसृष्टकल्पिक-देय द्रव्य से लिप्त हाथ या कड़छी से भिक्षा लेनेवाला । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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