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________________ ६० वर्धमान जीवन कोश (ग) इय दीवइँ पुत्र्व विदेहवरु सीया सरि तडि संविय विवरु । कच्छा णा णिवस विसउ संपयणिय सयलिंदिय विसउ | तहि खेमापुरि णिवसइ विसाल णाणामणि णिम्मिय तुरंग साल | X X X तहि हुबउ घणज्जउ धरणिणाहु णायर जण मणहरु कंचणाहु | X X X णं मणसिय-विजयहो वइजयंति । जा कलहंसि व सोहइ वयंति ।। णामेण पहावइ पुरिसिरीय | अवयस विग्गह विणसs हिरीव || रयणि विरामे सयणयले ताए । णिद्दावस मडलिय लोयणाइँ || दिक्खेवि सुह सुइणावलि भणेवि । पिययमहो पुरउ विभउ जणेवि ॥ + + + धत्ता— तह सुक्कामरु आउस खत्रिवि संजाउ पुत्तु सग्गहो चविवि । रूबाइ गुणेहिं अलंकरिउ णं मुत्तिवंतु जसु अवयरिउ ।। १५४ ।। वडाच संधि ८ । कड १ पियदत्त भणिउ सो सज्जणेहिं रुंदाणं दाऊश्यि - मणेहिं । + + - Jain Education International + - दधिणज्जएण । ससिहर सम जस धवलिय - जएण पणवेणि खेमंकर- पयाइँ भवियण पयणिय सिव संपयाइँ । णिसुणेवि धम्मु एक्के मणेण वइराइल्ले पुणु तक्खणेण । घत्ता - णिय रज्जु समप्पेवि णिय सुवहो अइरावइ करि कर सम भुवहो । तहो जिणहो मूलि दिक्खा गहिय व ति विसय तव्हा महिय ।। १५५ ।। - वडमाणच० संधि ८ / कड २ णीसेस - रिदाहीस लच्छि दुल्लह पावेविण, पिय समच्छु । राह णिहिल मणे किंकरत्त । धारंत वइरि सम्वाहरत्त । सच्चरणायड्डिय भक्ति तेम फुल्लिय सयदल दलि भसलु जेम । - वडमाणच० संधि ८ । कड ३ asar - दिवसहि चक्केण तेण छक्खंड - वसुह वसुकिय सहेण । + + + बत्तीस सहास णरेसरेईि सोलह - सहास पवर मरेहि छन्नवइ सहस वर कामिणीहि मयणाणल हुववह सामिणीहि । परियरि सहइ चक्कवइ तेम । देवी- गणेहिं सुर राउ जेम || - वहुमाणच ० संधि ८ । कड ५ · - - • - . For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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