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वर्धमान जीवन-कोश (ग) पुवामरगिरि-पुत्व विहाइए विउल-विदेहंतरि विक्खायए।
वच्छा विसउ मणोहरु णिवसइ। जहिं मुणि गणु भवियण मणु हरिसइ ।। सीया - सरि - तड - माय - विलग्गउ घर - सिहरावलि - णयल - लग्गउ । पंचवीस जोयण - उत्त गउ कीलमाण - गय - जयरहिं चंगउ ।।
तो उत्तरसेणिए सुर - मणहरु णिवसइ पुरु कणयरु तिमिरहरु ।। जिहिं णिवडंतु खयरि · मुह • पंकए सासाणिल - वसेण - णिप्पंकए।
-वड्माणच० संधि ७ । कड १ । तहिं विजाहरवइ कणयप्पहु जेण जिणिवि अरियण किउ णिप्पहु।
+ तहो पिय पीवर - पीण - पओहर कणयमाल णामेण मणोहर । पविमल - सीलाहरण - विहूसिय लावण्णालंकरिय अदूसिय ।। एहहँ सग्गु मुएवि हरिद्धउ सुउ जायउ णामें कणयद्धउ ।।
-वड्डमाणच संधि ७ कड २ तेण सजणणा एसें सुन्दरि भार-मइंद - महीहर - कंदरि । मणि गण जडियाहरण पसाहिय वर कण्णप्पह कण्ण विवाहिय
-वड्डमाणच० संधि ७ । कड ३ एक्कहिँ दिणे देविणु णिव - सिरि तहो भव भीएण नरिंदे पुत्तहो । सुमइ - मुणीसर • पय पणवेप्पिणु लक्ष्य दिक्खकरणारि जिणेप्पिणु ।।
-वड्डमाणच० संधि ७/कड ४ एत्यंतरे एक्कहिँ दिणिकंतए सहिउ खयर वइ-गउ अइकंतए । कीलणत्थु णामेण सुदंसणे वर - गंदणे खयरालि - विहिय - सणि । तहिँ असोय तरु - मूले निविट्ठउ विमल - सिलायले साहु विसिहउ । सुव्वउ णामे सुव्वय - वंतउ दुप्पयारु तउ तिव्वु तवंतउ ।। x x खयराहिउ तं देक्खि पहिट्ठउ ।
-वड्डमाणच० संधि ७/कड ५ पुण खयरें दे पणविवि पुच्छिउ । सुव्वय - मुणिवरु हियय - समिच्छिउ । धम्म-मग्गु सो पुणि आहासइ।
-वड्डमाणच० संधि ७/कड ६
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