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________________ वर्धमान जीवन-कोश चूकि त्रिपृष्ठ-प्रथम वासुदेव थे। उनके पूर्व भव का नाम-विश्वभूति था। त्रिपृष्ठ वासुदेव के प्रतिशत्रु एएसि नवण्ह वासुदेवाण नव पडिसत होत्या, तंजहा-अस्सग्गीवेजावजरासंधे। एए खलु पडिसत्तू जाव सचको हिं । -सम० सू. २४६ त्रिपृष्ठ वासुदेव का प्रतिशत्र - अश्वग्रीव था। अर्थात् अश्वग्रीव प्रथम-प्रतिवासुदेव था। त्रिपृष्ठ वासुदेव के पिता का पुत्री से विवाह तस्थ य भुजिऊण जहिच्छिए भोए, चइऊण देवलोगाओ पोयणपुराहिहाणे, णयरे फ्यावइस्स पाहिवस्स मिगावईए भारियाए पुत्तत्तण समुप्पण्णो । तस्स य राइणो रिपडिसत्तू णामं पसिद्ध। का ध्याए पडिलग्गो, तओ ‘पयाए णियध याए चेव पई' त्ति लोएणं पयावइत्ति णामं कयं । तस्व बाणो विस्सभूई अणगारो महासुक्काओ चविऊ पुत्तो समुप्पण्णो । दिट्ठा य जणणीए सत्त गा। णेमित्तिएण साहियं-पढमो वासुदेवो भविस्सइ त्ति । जाओ य सोभणे दिवसे । संवडियो पणमणुपत्तो। -चउप्पण्ण० पृ०६६ ताहे महासुक्काओ चइऊणं तीए मियावतीए कुच्छिसि उववण्णो, सत्त सुविणादिहा, सुमिणपाढगेहिं वासुदेवो आइट्टो, कालेण जातो, तिण्णि य से पिट्टिकरंडका तेण से तिविठ्ठ, नाम कयं, मायाए मक्खिओ उण्हतेल्लेणंति, जोओणगमणुप्वत्तो । -भाव निगा ४४५ । मलय टीका में उद्धृत ततो चइऊण पोयणपुरे नगरे पुत्तो पयावइस्स मिगावईए देवीए कुच्छिंसि उवणण्णो, तस्स कह वती नामं ? तस्स पुचि रिउपडिसत्त तिनामं होत्था, तस्स य भद्दाए देवीए अयलेनामं कुमारे होत्था, य अयलस्स भगिणी मियावती नाम दारिया अतीव रूववती, सा य उम्मुक्कबालभावा सव्वालंविभूसिया पिउपाय दिया गया, तेण सा उच्छगे निवेसिया सातीसे रूबे जोव्वणे य अंगफासे य छओ, विसज्जेत्ता पउरजग वय वाहरइ, ताहे भणइ-जं एत्थ रयणं उप्पज्जइ त कस्स ? ते भणति, एवं तिन्निवोरा साहिते सा चेडी उवहि ( ढवि ) या, ताहे लज्जिया निग्गया, तेसि सव्वेसिं कूव पाणं गंधव्वेण विवाहेण सयमेव वियाहिया, उप्पाइया ऽणे भारिया सा, भहा पुत्रोण अयलेण समं खणापहे माहिस्सिरिं पुरिं निवेसेइ, महंतीए इसरीएत्ति माहेस्सरी, अयले माय ठवेऊण पिउमूलगो, ताहे लोएण पयावती नाम कय पया अणेण पडिवण्णा पयावतित्ति, वेदेऽप्युक्तम्-"प्रजापतिः स्वां हितरमकोमयत ।' -आव० निगा ४४५/मलय टीका में उद्धृत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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