SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 730
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६३८ पुद्गल-कोश का पता चलता है ऐसे दो इन्द्रिय आदि जीवों के शब्द अनक्षरात्मक शब्द है। ये दोनों प्रकार के शब्द प्रायोगिक है। अभाषात्मक शब्द दो प्रकार के हैं-प्रायोगिक और वैनसिक । मेघ आदि के निमित्त से जो शब्द उत्पन्न होते हैं वे बैनसिक शब्द है। तथा तत, वितत, धन और सोषिक के भेद से प्रायोगिक शब्द चार प्रकार १-तत्र चर्मतनननिमित्तः पुष्करभेरी दुर्दरादिप्रभवस्ततः । -सर्वा. अ ५ । सू २४ २-तन्त्रीकृतवीणासुघोषादिसमुद्भवोविततः । -सर्वा० अ ५। २४ ३ –तालघंटालालनाद्यभिघातजो घनः। -सर्वा० अ ५ । सू २४ ४-वंशशंखादिनिमित्तः सौषिरः। -सर्वा० म ५ । सू २४ वह चार प्रकार का है-तत, वितत धन और सुषिर १-तत-तबला, पुष्कर, भेदी, दुर्दर आदि शब्द । २-वितत-वीणा आदि का शब्द । ३-घन-ताल, धण्टा, लालन आदि का शब्द । ४-सुषिर- शंख, बांसुरी आदि का शब्द । स्वभाव जन्यो वैस्रसिकः-मेघादिप्रभवः । -जैनसिदी० प्र१ सू १५ मेधादि जन्य स्वाभाविक शब्द को वैरसिक कहते हैं। शब्द प्रायोगिक वैनसिक भोपालक भाषात्मक अभाषात्मक तत वितत धन सुषिर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy