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________________ पुद्गल-कोश (ग) विश्लेषः भेदः । स च पञ्चधा १ – उत्करः – मुद्गशमीभेदवत् - २ - चूर्णः - गोधूमचूर्णवत् ३ - खण्ड: - लोहखण्डवत् ४- प्रतरः- - अभ्रपटलभेदवत् ५- अनुतटिका - तटाक रेखावत् ६२८ - जैसिदी० प्र १ । सू १५ । टीका पुद्गल परिणाम का - अजीव परिणाम के दश भेदों में एक परिणाम भेद परिणाम है । भेद का अर्थ है - विश्लेष | वह पांच प्रकार का होता है । १ - उत्कर - जैसे - मूंग की फली का टूटना । २ - चूर्ण - जैसे – गेहूँ आदि का आटा । ३ –खण्ड–जैसे—लोहे के टुकड़े, घड़े के टुकड़े । ४ – प्रतर -- जैसे - अभ्रक के दल | ५ - अनुतटिका - जैसे - तालाव की दरारें । भेद परिणाम पांच प्रकार का है १ - खण्ड भेद - मिट्टी की दरार । २ - प्रतर भेद - जैसे - अभ्रपटल के प्रतर । ३ – चूर्णं भेद – चूर्ण – जैसे—आटा । ४ – अनुतट भेद —वांस या ईक्षु को छीलना । ५ - उत्करिका भेद - काठ आदि का उत्किरण । तत्वार्थवार्तिक में इसके छः भेद निर्दिष्ट है । उसमें इन पांच के अतिरिक्त एक चूर्णिका को और माना है । चूर्ण और चूर्णिका का अर्थ इस प्रकार किया है । १ – चूर्ण – जौ, गेहूं आदि में होने वाली कणिका । २ - चूर्णिका - उड़द, मूंग आदि का आटा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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