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________________ पुद्गल-कोश ५३३ विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोगपएसोगाढा, बावरजुम्म परसोगाढा वि, कलियोगपएसोगाढा वि [ सू १८५ ] तिप्पएसिया णं पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोगपएसोगाढा, नो बावरजुम्मपएसोगाढा, नो कलियोगपएस्रोगाढा । विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसो गाढा, तेओगपए सोगाढा वि, दावरजुम्सपरसोगाढा वि, कलिओगपएसो गाढा वि । [ सू १८६ ] चप्पएसिया णं पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेओगपएसोगाढा, नो दावरजुम्मपएसोगाढा, नो कलियोगपएसोगाढा । विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि जाव कलिओगपएसोगाढा वि । एवं जाव अनंतपरसिया [ सू १८७ ] -भग० श २५ । उ ४ । सू १८५ से १८७ पृ० ९२६ द्विप्रदेशो स्कंध ( बहुवचन ) ओघादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ है, त्र्योज, द्वापर युग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं है । विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ और त्र्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं है । द्वापर युग्म भी होते हैं, कल्योज प्रदेशावगाढ़ भी होते हैं । तीन प्रदेशी स्कंध - ओघादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ है, त्र्योज, द्वापर युग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं है । विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ नहीं, किन्तु योज प्रदेशावगाढ़, द्वापर प्रदेशावगाढ़ और कल्योज प्रदेशावगाढ़ है । चतुष्पदेशी स्कंध ओघादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ है, त्र्योज, द्वापर युग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं है । विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाद् यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ़ भी है । इसी प्रकार पंचप्रदेशी यावत् अनंत प्रदेशी स्कंध के विषय में जानना चाहिए । स्कंध पुद्गल और युग्म स्कंध पुद्गल की प्रदेशावगाढता दुपएसिए णं पुच्छा | गोयमा ! नो कडजुम्मपएसोगाढे, णो तेयोगपरसोगाढे, सिय दावरजुम्मपएसोगाढे सिय कलियोगपएसो गाढे | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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