SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 596
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५०४ ४ - भाव की अपेक्षा एक गुण कृष्णवर्णवाले परमाणु व स्कंध पुद्गलों को एक वर्गणा होती है । इसी प्रकार द्विगुण यावत् अनंत गुण कृष्णवाले पुद्गलों की एक वर्गणा होती 1 इसी प्रकार नील, रक्त, पीत तथा शुक्ल वर्ण के पुद्गलों के विषय में समझना चाहिए । इसी प्रकार दो गंध, पाँच रस तथा आठ स्पर्श के विषयों में समझना चाहिए । जघन्य प्रदेशी स्कंधों ( द्विप्रदेशी स्कंध पुद्गल ) की एक वर्गणा होती है । उत्कृष्ट प्रदेशी स्कंधों ( उत्कृष्ट संख्या से अनंत प्रदेशी स्कध पुद्गल ) की एक वर्गणा होती है तथा अजघन्य - अनुत्कृष्ट ( मध्यम ) प्रदेशी स्कंधों को एक वर्गणा होती है । ८वर्गणा पुद्गल-कोश अथोल्लंघ्याखिला एताः सिद्धानं तांशसंमितेः । परमाणुभिरुद्गतः ॥१३॥ अभव्येभ्योऽनंतगुणः स्कंधेर्याः स्युः सभारब्धा वगणा विस्रसावशात् । जघन्या ग्रहणार्हाः स्यु-स्ताः किलौदारिकोचिताः ॥१४॥ आभ्यश्चैककाणुवृद्धा मध्यमा ग्रहणोचिताः । तावद् ज्ञेया यावदौदा रिकात्कृष्ट वर्गणाः ॥ १५ ॥ उत्कृष्टौवारिकाभ्य श्चकेनाप्यणुनाधिका । भवंति पुनरप्यौदा रिकानह जघन्यतः ॥ १६॥ ततश्चैकेकाणुवृद्धा अनह मध्यमा बुधः । तावद् ज्ञेया पुनर्याव दुत्कृष्टाः स्युरन हकाः ॥१७॥ एता बह्वणुनिष्पन्न - त्वात्सूक्ष्माः परिणामतः । तत औदारिकानर्हाः स्थूलस्कंधोद्भवं हि तत् ॥ १८ ॥ यथा यथाणुभूयस्त्वं परिणामस्तथा तथा । स्थूलमिष्यते ॥ १९ ॥ प्रचुराणुकाः । 4 स्कंधेषु सूक्ष्मः स्यात्तषां - मल्पत्वे औदारिकापेक्षयेव फिलता: Jain Education International स्युः सूक्ष्मपरिणामाश्च क्रियापेक्षया पुनः ॥ २० ॥ स्वल्पाणुजातत्वात्स्थूल परिणामा अमस्ततः । वेकियानुचिताः सूक्ष्म स्कंधोत्थं प्राच्यतो हि तत् ॥२१॥ - लोकप्र० सर्ग ३५ /गा १३ से २१ / पृ० ६५१-५२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy