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________________ ४५२ पुद्गल-कोश तुल्य है, कदाचित अधिक है। यदि न्यून है तो एक प्रदेश न्यून है यावत् छःप्रदेश न्यून है । यदि अधिक है तो एक प्रदेश अधिक है अथवा यावत् छःप्रदेश अधिक है। अजघन्य-अनुत्कृष्ट अवगाहनावाले दस प्रदेशी स्कंध से अजघन्य-अनुत्कृष्ट अवगाहनावाले दस प्रदेशी स्कंध से अवगाहना रूप से कदाचित् न्यून है. कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो एक प्रदेश न्यून है यावत् सात प्रदेश न्यून है। यदि अधिक है तो एक प्रदेश अधिक है अथवा यावत् सात प्रदेश अधिक है। जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं। जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है । जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशो स्कंध से प्रदेश रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यनि न्यून है तो संख्यात भाग न्यून है तथा संख्यात गुण न्यून है। (द्विस्थान न्यून है । ) यदि अधिक है तो संख्यात भाग अधिक है तथा संख्यात गुण अधिक है। (द्विस्थान अधिक है।) जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध से अवगाहना रूप से द्विस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशौ स्कंध जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध से स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । जघन्य अवगाहनावाले सख्यात प्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध से वर्ण पर्याय रूप से, ( कृष्ण-नील-रक्त-पीत-शुक्ल वर्ण पर्याय रूप से) गंध पर्याय रूप से, (सुगन्ध-दुर्गन्ध पर्याय रूप से ) रस पर्याय रूप से ( तिक्त-कटुकषाय-आम्ल-मधुर रस पर्याय रूप से ) तथा स्पर्श पर्याय रूप से ( शीत-उष्ण-स्निग्ध रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से ) छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । जिस प्रकार जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले संख्यात प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से द्विस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है, अवगाहना रूप से तुल्य है, स्थिति रूप से चतु:स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है तथा वर्ण-गंध-रस-स्पर्श (शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से) पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही उत्कृष्ट अवगाहनावाले For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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