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________________ पुद्गल - कोश •५ भाव अपेक्षा परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालावन्नपज्जवेहि किं कडजुम्मे, तेओगे ? जहा ठिईए वत्तव्वया एवं वण्णेसु वि सव्वेसु । गंधेसु वि एवं चेव ( एवं ) रसेसु वि जाव- - 'महुरो रसो' त्ति x x x 1 सीय-उसिण- निद्ध - लुक्खा जहा वण्णा x x x 1 टीका- सीओसिणनिद्धलुक्खा जहा वण्णत्ति । एतत्पर्यवाधिकारे परभाण्वादयोऽपि वाच्या इति भावः । - भग० श २५ । उ ४ । सू ८१-८३ । पृ० ८६८ एक परमाणु पुद्गल काले वर्ण पर्याय की अपेक्षा कदाचित् कृतयुग्म गुण, कदाचित् त्योज गुण, कदाचित् द्वापरयुग्म गुण तथा कदाचित् कल्योज गुण काले वर्ण पर्याय वाला होता है । ३३७ परमाणु पुद्गलों का औधिक विवेचन करने पर काले बर्ण पर्याय की अपेक्षा कदाचित् कृतयुग्म, कदाचित् त्र्योज रूप, कदाचित द्वापरयुग्म तथा कदाचित् कल्योज रूप काले वर्ण पर्याय वाले होते हैं । तथा विधानादेश से ( व्यक्तिगत रूप से ) विवेचन करने पर काले वर्ण पर्याय की अपेक्षा उनकी संख्या कृतयुग्म भी होती है, योज रूप भी होती है, द्वापरयुग्म भी होती है तथा कल्योज रूप भी होती है । जैसे काले वर्ण पर्याय की गुण संख्या अपेक्षा परमाणु पुद्गलों का वर्णन किया गया है वैसे ही शेष वर्णों का, ( नील-रक्त- पीत - शुक्ल ) सुगंध - दुर्गंध का; तिक्त-कटुकषाय- आम्ल- मधुर रसों का; शीत, उष्ण, स्निग्ध तथा रूक्ष स्पर्शों का वर्णन करना चाहिए | * ३६ परमाणु पुद्गल की उत्पत्ति के नियम (क) भेदादणुः भाष्य - भेदादेव परमाणुरुत्पद्यते, न संघातादिति । Jain Education International - तत्त्व० अ ५ । सू २७ (ख) अणोरुत्पत्तिर्भेगदेव, न संघातान्नापि भेदसंघाताभ्यामिति । - सर्व ० अ ५ । सू २७ । पृ० २९९ — राज ० अ ५ । सू २७ । पृ० ४१४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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