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________________ ३२० पुद्गल-कोश परमाणु पुद्गल परमाणु पुद्गल से शीत स्पर्श पर्याय से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो अनंत भाग न्यून है अथवा असंख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात गुण न्यून है अथवा असंख्यात गुण न्यून है अथवा अनंत गुण न्यून है ( छःस्थान न्यून) है। यदि अधिक है तो अनंत भाग अधिक है अथवा असंख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात गुण अधिक है अथवा असंख्यात गुण अधिक है अथवा अनंत गुण अधिक है । ( छः स्थान अधिक ) है । जिस प्रकार शीत स्पर्श पर्याय रूप से परमाणु पुद्गल परमाणु पद्गल से छः स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष पर्याय रूप से छः स्थान न्यूनाधिक है । अथवा तुल्य है अतः परमाणु पुद्गल में अनंत पर्याय होते हैं। नोट-परमाणु पुद्गल परमाणु पुद्गल से स्थिति रूप से चतुस्थान न्यूनाधिक होता है क्योंकि परमाणु पुद्गल एक समय से आरम्भ होकर उत्कृष्ट असंख्यात काल पर्यन्त एक स्थान में रहता है। कृष्ण आदि वर्ण रूप से छः स्थान न्यूनाधिक होते हैं। परमाणु को द्रव्य रूप से अंश नहीं होता है अतः परमाणु अप्रदेशी होता है परन्तु काल और भाव रूप से अप्रदेशीत्व एकांत रूप नहीं होता है अतः काल और भाव रूप से परमाणु सप्रदेशी भी होता है। •२ समयस्थितिवाले परमाणुपुद्गल और पर्यायसंख्या जहण्णठिईयाणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं पुच्छा ! गोयमा ! अणंता ( पज्जवा पन्नत्ता)। से केण?णं? गोयमा ! जहण्णठिईए परमाणुपोग्गले जहण्णठिईयस्स परमाणुपोग्गलस्स दवट्टयाए तुल्ले, पएसट्टाए तुल्ले, ओगाहणट्टयाए तुल्ले, ठिईए तुल्ले, वण्णादि-दुफासेहि य छट्ठाणवडिए। एवं उक्कोसठिईए वि। अजहण्ण , णुक्कोसठिईए वि एवं चेव । नवरं ठिईए चउढाणवडिए । -पण्ण० प ५ । सू ५३२ । पृ० ३६५ जघन्यस्थितिवाले परमाणुपुद्गल में अनंतपर्याय होते हैं। जघन्यस्थितिवाले परमाणुपुद्गल की अन्यान्य जघन्यस्थितिवाले परमाणुपुद्गल से तुलना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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