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________________ २८२ पुद्गल-कोश (ग) परमाणुपोग्गले णं भंते ! कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे, कइफासे पन्नत्ते ? गोयमा ! एगवन्ने, एगगंधे, एगरसे, दुफासे पन्नत्ते, तंजहाजइ एगवन्ने सियकालए, सिवनीलए, सिय लोहिए, सिय हालिइए, सिय सुक्किल्लए, जइ एगगंधे सिय सुबिभगंधे, सिय दुब्भिगंधे, जइ एगरसे सिय तित्त, सिय कडुए, सिय कसाए, सिय अंबिले, सिय महुरे, जइ दुफासे सिय सोए य निद्धय १ सिय सीए य लुक्खे य २ सिय उसिणे य निद्धय ३ सिय उसिणे य लुक्खे य । - भग० श २० । उ ५ । सू १ । पृ० ७९३ (घ) परमाणुः एकरसवर्णगंधो द्विस्पर्शः । - ठाण० स्था ५ । सू ५ । टीका में उद्धृत (ङ) रूपरसगंधस्पर्शयुक्ता हि परमाणवः एक गुणरूपादिपरिणता । - तत्त्व० राज० अ ५ । सू १ । पृ० ४३४ । ला १८ (च) स्पर्शरसगंधवणवं तोणवः । - तत्त्व० श्लो० अ ५ । सू २५ । टीका परमाणुपुद्गल में एक वर्ण, एक गंध, एक रस तथा दो स्पर्श होते हैं । एक वर्ण हो तो कदाचित् कृष्णवर्ण, कदाचित् नीलवर्ण, कदाचित् रक्तवर्ण, कदाचित् पीतवर्ण व कदाचित् शुक्लवर्ण होता है । एक गंध हो तो कदाचित् सुगंध, कदाचित् दुर्गन्ध होती है । एक रस हो तो कदाचित् तिक्त रस, कदाचित् कटु रस, कदाचित् कषायरस, कदाचित् आम्ल रस तथा कदाचित् मधुररस होता है । Jain Education International दो स्पर्श हो तो कदाचित् शोत और स्निग्ध, कदाचित् शीत और रूक्ष, कदाचित् उष्ण और स्निग्ध तथा कदाचित् उष्ण और रूक्ष होता है । अत: परमाणु के पाँच वर्णों में से कोई एक ही वर्ण होता है, दो गंधों में से कोई एक गंध होती है और पांच रसों में से कोई एक रस होता है तथा चार स्पर्शो में कोई दो अविरोधी स्पर्श होते हैं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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