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________________ पुद्गल-कोश २४९ एक गुण सुगन्धवाले पुद्गल की एक गुण सुगन्ध रूप स्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट असंख्यात काल की होती है। इसी प्रकार द्विगुण यावत् अनंत गुण सुगन्धवाले पुद्गल की स्व-स्व गुण रूप स्थिति जघन्य एक समय की ; उत्कृष्ट असख्यातकाल की होती है। इसी प्रकार दुर्गन्ध पुद्गलों के विषय में भी समझना चाहिए। एक गुण तिक्त रसवाले पुद्गल की एक गुण तिक्त रस रूप स्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट असंख्यात काल की होती है। इसी प्रकार द्विगुण यावत् अनंत गुण तिक्त रसवाले पुद्गल की स्व-स्व गुण रूप स्थिति जघन्य एक समय की; उत्कृष्ट असंख्यात काल की होती है। इसी प्रकार कटु-कषाय-आम्ल-मधुर रस के पुद्गलों के विषय में भी समझना चाहिए। एक गुण कर्कश स्पर्शवाले पुद्गल की एक गुण कर्कश स्पर्श रूप स्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट असंख्यात काल की होती है। इसी प्रकार द्विगुण यावत अनंत गुण कर्कश स्पर्शवाले पुद्गल की स्व-स्व गुण रूप स्थिति जघन्य एक समय की, उत्कृष्ट असंख्यात काल की होती है। इसी प्रकार मृदु-गुरु-लघु-शीत-उष्ण-स्निन्धरूक्ष पुद्गलों के विषय में भी समझना चाहिए । (१०) सूक्ष्म परिणमन अपेक्षा (११) बादर परिणमन अपेक्षा सूक्ष्म परिणत पुद्गल की सूक्ष्म परिणत रूप स्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट असंख्यात काल की होती है । बादर परिणत पुदगल की बादर परिणत रूप स्थिति जघन्य एक समय की ; उत्कृष्ट असंख्यात काल की होती है । (१२) शब्द परिणति अपेक्षा (१३) अशब्द परिणति अपेक्षा शब्द परिणतवाले पुद्गल की शब्द परिणत रूप स्थिति जघन्य एक समय की; उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यात भाग की होती है । अशब्द परिणतवाले पुद्गल की अशब्द परिणत रूप स्थिति जघन्य एक समय की ; उत्कृष्ट असंख्यात काल की होती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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