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________________ २४७ पुद्गल-कोश (४) सकंपत्व की अपेक्षा (५) निष्कंपत्व की अपेक्षा एक आकाशप्रदेश में अवगाढ पुद्गल यावत् असंख्यात आकाशप्रदेश में अवगाढ पुद्गल स्वस्थान पर या दूसरे स्थान पर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्येय भाग तक सकंप रह सकता है। __ एक आकाशप्रदेश में अवगाढ पुद्गल यावत् असंख्यातप्रदेश में अवगाढ पुद्गल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्येयकाल तक निष्कंप रह सकता। सकंप पुद्गल की स्थिति उत्कृष्ट आवलिका के असंख्येय भाग तक की ही होती है, निष्कंप पुद्गल की तरह असंख्यातकाल तक की नहीं होती है क्योंकि पुद्गलों का चलन-पुद्गलों में कंपन आकस्मिक होता है अतः निष्कंप पुद्गल की तरह सकंप पुद्गल असंख्येयकाल सकंप नहीं रह सकता है। कोई भी पुद्गल अनंतप्रदेशावगाढ नहीं होता है अतः असंख्यातप्रदेशावगाढ पुद्गल का ही विवेचन किया गया है । पुद्गल (बहुवचन ) कुछ सकंप तथा कुछ निष्कंप रहते हैं अतएव ऐसा कहा जाता है कि पुद्गल सदा सकप-सदा निष्कंप रहते हैं। कोई भी समय ऐसा नहीं होता है जब सब पुदगल सकंप हो अथवा सब पुद्गल निष्कंप हो। सब काल में कुछ पुदगल सकंप रहते हैं, कुछ पुद्गल निष्कंप रहते हैं। सकंप परमाणुपुदगल यावत् सकंप अनंतप्रदेशी स्कंध पुद्गल की स्थिति जघन्य एक समय की तथा उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यात भाग की होती है। निष्कंप परमाणुपुद्गल यावत् निष्कंप अनंतप्रदेशी स्कंध पुद्गल की स्थिति जघन्य एक समय की तथा उत्कृष्ट असंख्यातकाल की होती है । सकंप परमाणुपुद्गल (बहुवचन ) यावत् सकंप अनंतप्रदेशी स्कंध पुदगल (बहुवचन ) की स्थिति सदाकाल होती है। निष्कंप परमाणुपुद्गल (बहुवचन ) यावत् निष्कंप अनंतप्रदेशी स्कंध पुद्गल (बहुवचन ) की स्थिति सदाकाल होती है। नोट-परमाणुपुद्गल (बहुवचन ) यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध पुद्गल (बहुवचन) कुछ सकंप तथा कुछ निष्कंप रहते हैं अत: ऐसा कहा जाता है कि परमाणुपुद्गल (बहुवचन ) यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध पुद्गल (बहुवचन ) कुछेक सदा सकंप- सदा निष्कंप भी रहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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