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________________ २१० पुद्गल-कोश अगहणदव्ववग्गणाणमुवरि कम्मइवदव्ववग्गणा णाम ||७१८ ॥ षट् ० खण्ड ० ५ । भा ४ । सू ७०६ से ७१८ । पृ० ५४२-४३ । पु १४ १ - वर्गणा की अपेक्षा एक प्रदेशी परमाणुपुद्गल द्रव्यवर्गणा है ||७०७॥ २ - यह द्विप्रदेशी परमाणुपुद्गल द्रव्यवगंणा है || ७०८ || १४ - इसी प्रकार त्रिप्रदेशी, चतुः प्रदेशी, पंचप्रदेशी, षट्प्रदेशी, सप्तप्रदेशी, अष्टप्रदेशी, नवप्रदेशी, दशप्रदेशी, संख्यातप्रदेशी, असंख्यात प्रदेशी, अनंतप्रदेशी और अनंतानंत प्रदेशी परमाणुपुद्गल द्रव्यवर्गणा होती है ।।७०९ ॥ १५ – उन अनंतानंत प्रदेशी परमाणुपुद्गल द्रव्यवर्गणाओं के ऊपर आहारशरीर द्रव्य वर्गणा होती है ॥७१० ॥ १६-१७ - आहारशरीरद्रव्यवर्गणाओं के ऊपर अग्रहणद्रव्यवर्गणा होती है । अग्रहणद्रव्यवर्गणाओं के ऊपर तैजसद्रव्यवर्गणा होती है ।।७११-७१२॥ १८ – तैजसद्रव्यवर्गणाओं के ऊपर अग्रहणद्रव्यवर्गणा होती है ।।७१३ ।। १९- अग्रहणद्रव्यवर्गणाओं के ऊपर भाषाद्रव्यवर्गणा होती है ।। ७१४॥ २०- भाषाद्रव्यवर्गणाओं के ऊपर अग्रहणद्रव्यवगंणा होती है ।।७१५॥ २१ -- अग्रहणद्रव्यवर्गणाओं के ऊपर मनोवर्गणा होती है ।। ७१६ । २२ - मनोद्रव्यवर्गणा के ऊपर अग्रहणद्रव्यवर्गणा होती है ।।७१७।। २३ – अग्रहणद्रव्यवर्गणाओं के ऊपर कार्मणवर्गणा होती है ।।७१८ ॥ है नोट - औदारिकादि पांच शरीरों के ग्रहण योग्य है और ग्रहणयोग्य नहीं -इस विषय को ध्यान में रखते हैं उपर्युक्त तेईसवर्गणाओं का कथन दूसरे तरीके से किये हैं । वग्गणपरूवणदाए इमा एयपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा णाम । इमा दुपदेसिय परमाणुपोग्गलदव्बत्रग्गणा णाम । - षट्० ५, ६ । सू ७६, ७७ । पु १४ टीका - दोष्णं परमाणुणं अजहण्णणिद्ध ल्हुक्ख गुणाणं समुदयसमागमेण दुपदेसिय परमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा होदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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