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________________ पुद्गल-कोश जघन्यगुण कर्कशस्पर्शवाले पुद्गलों की जघन्यगुण कर्कशस्पर्श की अपेक्षा एक वर्गणा होती है ; उत्कृष्टगुण कर्कशस्पर्शवाले पुद्गलों की उत्कृष्ट कर्कशस्पर्श की अपेक्षा एक वर्गणा होती है तथा अजघन्य-अनुत्कृष्टगुण कर्कश स्पर्शवाले पुद्गलों की अजघन्य-अनुत्कृष्ट कर्कशस्पर्श की अपेक्षा एक वर्गणा होती है। इसी प्रकार मृदु-गुरुलघु-शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्शवाले पुद्गलों के विषय में भी समझना चाहिए। •२ भावहानिप्ररूपणा को अपेक्षा पुद्गल की वर्गणा नोट-तस्सेवबंधणिज्जस्स तत्थ इमाणि चत्तारि अणियोगद्दाराणि णायव्वाणि भवंति-वग्गणपरूवणा वग्गणणिरूवणा पदेसट्टदा अप्पाबहुएत्ति ॥७०६॥ वग्गणपरूणदाए इमा एयपदेसिया परमाणुपोग्गलवन्ववग्गणा णाम ॥७०७॥ इमा दुपदेसियपरमाणुपोग्गलवव्यवग्गणा णाम ॥७०८॥ एवं तिपदेसिय-चपदेसिय-पंचपदेसिय-छप्पदेसिय-सत्तपदेसिय-अट्रपदेसिय-ण पदेसिय-दसपदेसिय-संखेज्जपदेसिय-असंखेज्जपदेसिय-अणंतपदेसिय अणंताणतपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववम्गणा णाम ॥७०९॥ तासिमणताणंतपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्यवग्गणाणमुवरिमाहार सरीर. दव्ववग्गणा णाम ॥७१०॥ आहारसरीरदब्यवग्गणाणमुवरिमगहणदब्यवग्गणा णाम ॥७११॥ अगहणवव्ववग्गणाणमुवरितेजादव्ववग्गणा णाम ॥७१२॥ तेजा दवववग्गणाणमुवरि अगहणदव्ववरणा णाम ॥७१३॥ अगहणदव्ववग्गणाणमुवरि भासादव्ववग्गणा णाम ॥७१४॥ भासादग्ववग्गणाणमुवरिमगहणवव्ववग्गणा णाम ॥७१५॥ अगहणदव्ववग्गणाणमुवरिमणदब्ववग्गणा णाम ॥७१६॥ मणदव्ववग्गणाणमुवरिमगहणदव्ववग्गणा णाम ७१७॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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