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________________ पुद्गल - कोश जघन्य अवगाहनावाले पुद्गल जघन्य अवगाहनावाले पुद्गल से रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । षट्स्थान न्यून है । यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है । जिस प्रकार शीत स्पर्श पर्यायरूप से जघन्य अवगाहनावाले पुद्गल जघन्य अवगाहना वाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही उष्ण-स्निग्धरूक्ष-स्पर्श पर्यायरूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । अतः जघन्य अवगाहनावाले पुद्गल में अनंत पर्याय होते हैं । उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गलों में अनंत पर्याय होते हैं । उत्कृष्ट अवगाहना वाले पुद्गल उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल से द्रव्यरूप से तुल्य है । २०३ शीत स्पर्श पर्याययदि न्यून है तो उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल से प्रदेशरूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । यदि न्यून है तो षट्स्थान न्यून है । यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है । उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल उत्कृष्ट अवगाहना वाले पुद्गल से अवगाहना रूप से तुल्य है । उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल से स्थितिरूप से भी तुल्य है । उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल से कृष्णवर्ण यदि न्यून पर्याय रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । है तो षट्स्थान न्यून है । यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है । जिस प्रकार कृष्णवर्ण पर्याय रूप से उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुदगल उत्कृष्ट अवगाहना वाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही नोल-रक्तपीत - शुक्लवर्ण पर्याय रूप से उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । उत्कृष्ट अवगाहना वाले पुद्गल उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल से सुगन्ध पर्याय रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । यदि न्यून है तो षट्स्थान न्यून है । यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है । जिस प्रकार सुगन्ध पर्याय रूप से उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल उत्कृष्ट अवगाहनावाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही दुर्गन्ध पर्याय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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