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________________ ( 26 ) वृक्ष में दूध का सदा सम्बन्ध बतलाने के लिए 'णिनी' प्रत्यय किया जाता है। उसी प्रकार प्रकृत में जानना चाहिए। सस्थान का अर्थ है-आकृति । भेद के छः भेद हैं। उत्कर, चूर्ण, खण्ड, चणिका, प्रतर और अणुचटन। करौंत आदि से जो लकड़ी आदि को चीरा जाता है वह उत्कर नाम का भेद है। जौ और गेहूं आदि का सत्तू और कनक आदि बनता है वह चूर्ण नाम का भेद है। घट आदि के जो कपाल और शर्करादि टुकड़े होते हैं वह खण्ड नाम का भेद है। उड़द और मूग आदि का जो खण्ड किया जाता है वह चूणिका नाम का भेद है। मेघ के जो अलग-अलग पटल आदि होते हैं वह प्रतर नाम का भेद है। तपाये हुए लोहे के गोले आदि को छन आदि से पीटने पर जो फुलंगे निकलते हैं वह अणुचटन नाम का भेद है । पुद्गल को परिभाषा पूरणात् पुत् गलयतीति पुद्गलः। -शब्द कल्पद्रुम कोष __ अर्थात् पूर्ण स्वभाव से पुत् और गलन स्वभाव से गल-इन दो अवयवों के मेल से पुद्गल शब्द बना है। पूरणगलनान्वर्थ संज्ञात्वात् पुद्गलाः। -तत्त्व राज० अ ५ । सू १-२४ गलन-मिलन स्वभाव के कारण पदार्थ को पुद्गल बताया गया है । भेद अथ पुद्गलद्रव्यस्य विभावव्यञ्जनपर्यायान्प्रतिपादपति । सद्दो बंधो सुहुमो थूलो संठाण भेद तम छाया। उज्जोदादवसहिया पुग्गलदव्वस्स पज्जाया ॥ -बृहद्र ० अधि १ । गा १६ शब्द, बंध, सूक्ष्मता, स्थूलता, संस्थान, भेद तम, छाया, उद्योत और आतपइन सहित पुद्गल द्रव्य के पर्याय होते हैं। नोट-ये सब स्कंध पुद्गल के भेद हैं। परमाणु पुद्गल के ये सब भेद नहीं होते हैं। परन्तु उनमें वर्ण-गंध-रस-स्पर्श नियमतः होते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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