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________________ १७० पुद्गल-कोश स्पर्शनिक्षेप के अधिकार का कथन किया गया है । वह स्पर्शनिक्षेप तेरह प्रकार का होता है - यथा - ( १ ) नामस्पर्श, (२) स्थापना स्पर्श, (३) द्रव्य स्पर्श, (४) एकक्षेत्र स्पर्श, (५) अनंतरक्षेत्र स्पर्श, (६) देशस्पर्श, (७) त्वक्स्पर्श, (८) सर्व स्पर्श, (९) स्पर्शस्पर्श, (१०) कर्मस्पर्श, (११) बंधस्पर्श, (१२) भव्यस्पर्श तथा (१३) भावस्पर्श | जो एक द्रव्य दूसरे द्रव्य से स्पर्श को प्राप्त होता है— उसे द्रव्यस्पर्श कहते हैं, यथा - परमाणु पुद्गल शेष पुद्गल द्रव्यों के साथ स्पर्श को प्राप्त होता है । पुद्गल द्रव्यरूप से परमाणु पुद्गल का शेष पुद्गलों के साथ एकत्व पाया जाता है । एक पुद्गल द्रव्य का शेष पुद्गल द्रव्यों के साथ जो संयोग या समवाय होता है उसे 'द्रव्यस्पर्श' कहते हैं । अथवा जीव द्रव्य और पुद्गल द्रव्य का जो एकमेक संबंध होता है उसे द्रव्यस्पर्श कहते हैं । एक पुद्गल द्रव्य दूसरे पुद्गल द्रव्य के द्वारा स्पर्श को प्राप्त होता है, क्योंकि समवेत रूप में अनंत पुद्गल परमाणु पाये जाते हैं ; अथवा पुद्गल रूप से उसमें एकत्व देखा जाता है अतः इसे द्रव्यस्पर्श कहते हैं । एक आकाश प्रदेश में स्थित अनंतानंत पुद्गल स्कंधों का समवाय संबंध या संयोग संबंध द्वारा जो स्पर्श होता है उसे एकक्षेत्रस्पर्श कहते हैं । अथवा बहुत द्रव्यों का युगपत् एक क्षेत्र की अवस्थिति से जो स्पर्श होता है उसे एकक्षेत्रस्पर्श कहते हैं । जो द्रव्य अनंतर क्षेत्र के साथ स्पर्श करता है उसे अनंतरक्षेत्रस्पर्श कहते हैं । दो आकाश प्रदेश में स्थित द्रव्यों का दो आकाश के प्रदेशों में स्थित अन्य द्रव्यों के साथ जो स्पर्श होता है उसे अनंतरक्षेत्रस्पर्श कहते हैं । दो प्रदेशों में स्थित स्कंधों का और तीन प्रदेशों में स्थित स्कंधों का जो स्पर्श होता है उसे भी अनंतरक्षेत्रस्पर्श कहते हैं । इसी प्रकार चार, पाँच आदि प्रदेशों में स्थित स्कंधों के साथ दो संयोग का कथन करते समय कुछ कम लोक में स्थित महास्कंध के प्राप्त होने तक द्वितीय अक्ष का संचार करना चाहिए । एक द्रव्य का देश अर्थात् अवयव यदि अन्य द्रव्य के देश अर्थात् उसके अवयव के साथ स्पर्श करता है तो उसे देशस्पर्श कहते हैं । यह देशस्पर्श स्कंधों के अवयवों का ही होता है, परमाणु रूप पुद्गलों का नहीं । जो द्रव्य अन्य द्रव्य के साथ सर्वात्मना स्पर्श करता है उसे सर्वस्पर्श कहने हैं । जिस प्रकार परमाणु पुद्गल द्रव्य अन्य परमाणु पुद्गल के साथ स्पर्श करता है, तो सब का सर्वात्मरूप से स्पर्श करता है वैसे अन्य द्रव्य भी जो इस प्रकार स्पर्श करते हैं उसे सर्वस्पर्श कहते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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