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________________ उपविभाजन का उदाहरण *९६१ ५१ योग की अपेक्षा जीव के भेद ५२ योग की अपेक्षा जीव की वगंणा ५३ विभिन्न जीवों में कितने योग ५४ विभिन्न जीव और योग स्थिति ५५ जीव और योग - समपद • ५६ योगी जीव और • ९६ किसी एक ( 7 ) रत्नप्रभा पृथ्वी के -> नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में शर्कराप्रभा० Jain Education International • ९६२ ९६०३ ९६४ ९६५ धूमप्रभा ० '९६·६ तमप्रभा० अंतरकाल • ५७ जीव समूहों ९६.१६ त्रीन्द्रिय० बालुकाप्रभा० पंकप्रभा ० में कितने योग '९६'१७ चतुरिन्द्रिय० ९६ १८ पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक ० ९६.१३ वायुकायिक ० ९६ १४ वनस्पतिकायिक ० ९६ १५ द्वोन्द्रिय • योनि से स्व/ पर योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों ९६ २२ सौधर्म देव० में कितने * ९६.२३ ईशान देव० योग आदि ९६७ तमतमाप्रभा ० ९६८ असुरकुमार० असंज्ञी पंचेन्द्रिय संज्ञी तिर्येच योनि से ० ९६९ नागकुमार यावत् स्तनितकुमार ९६ १० पृथ्वी कायिक० ९६.१० १० संख्यात वर्ष की ९६.११ अकायिक ९६ १२ अग्निकायिक ० ९६१९ मनुष्य योनि० ९६ २० वानव्यंतर देव० ९६.२१ ज्योतिषी देव० ९६ १०.१ '९६'१०२ '९६'१०'३ ९६ १०४ '९६.१०.५ अग्निकायिक योनि से वायुकायिक योनि से वनस्पतिकायिक योनि से ·९६'१०·६ द्वीन्द्रिय से '९६*१०७ श्रीन्द्रिय से ९६ १०८ चतुरिन्द्रिय से ९६ १०.९ स्वयोनि से अकायिक योनि से For Private & Personal Use Only आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से - ९६.१०.११ असंज्ञी मनुष्य से संज्ञी मनुष्य से '९६ १०१२ *९६*१०*१३ असुरकुमार देवों से *९६°१०·१४ नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों से *९६ १०.१५ वानव्यंतर देवों से '९६·१०·१६ ज्योतिषी देवों से ९६ १०१७ सौधर्म देवों से *९६१०१८ ईशान देवों से www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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