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________________ ( 68 ) सयोगी में अभव्य, भव्य विशेष, उपशमक व क्षपक की अपेक्षा क्रमशः चारों भंग पाये जाते हैं। अयोगी के पाप कर्म का बंध नहीं होता और भविष्य में भी नहीं होगाएक चौथा भंग ही पाया जाता है। -भग० श २६ ___ अस्तु सिद्ध पाहुड में आचार्य भिक्षु के प्रति कुछ भी नहीं है। आचार्य भिक्षु के समय काल में किसी व्यक्ति ने प्राकृत में चार गाथाएं उद्धत कर उसमें संकलित किया है व उसमें आचार्य भिक्षु को आठवां निह्वव कहकर नरकगामी बतलाया है। यह निराधार कहा है। पारंगत व्यक्ति इसका गहरा मंथन करे । सभी केवली के केवली समुद्घात नहीं होता है। केवली समुद्घात के पश्चात् अन्तर्मुहूर्त में योग निरोध होता है केवली समुद्घात करने के विषय में आचार्यों का मतभेद रहा है-यथा यो षाणमासाधिकायुष्यको, लभते केवलोद्गमम् । करोत्यसो समुद्घात मन्ये कुर्वन्ति वा न वा ।। -गुणस्थान क्रमारोह अर्थात् छहमास और छहमास से अधिक आयुष्यवाले को केवलज्ञान होने पर, वे अवश्य समुद्घात करते हैं और छह मास से न्यून आयुष्यवाले को केवलज्ञान होने पर, वे समुद्घात करते भी हैं और नहीं भी करते हैं । आवश्यक नियुक्ति से भी इसी कथन की पुष्टि होती है । यथा-- छम्मासाउ सेसे, उप्पण्णं जेसि केवलणाणं । ते णियमा समुग्घाया, सेसा समुग्धाय भइयव्वा ।। किन्तु आवश्यक चूर्णिकार का मंतन्य, इससे बिल्कूल विरुद्ध है-यथा--जो मनुष्य अन्तमुहूर्त से लगाकर, छह महिने जितना आयुष्य शेष रहने पर केवल ज्ञान प्राप्त करे तो समुद्घात से बाह्य है। अर्थात् वे समुद्घात नहीं करते हैं अथवा शेष (=छह महिने से अधिक आयुष्यवाले ) समुद्घात करते भी हैं और नहीं भी करते हैं । __ बाह्य-आभ्यन्तर द्रव्य-पर्यायों का ध्यान करता हुआ वितर्क की सामर्थ्य से युक्त हो अर्थ और व्यंजन तथा मन, वचन, काय की पृथक्-पृथक् संक्रांति करता है। फिर शक्ति की कमी से योग से योगान्तर और व्यंजन ये व्यंजनान्तर में संक्रमण करता है । __ भाव अवमोददिका ( अनोदरी) तप में अल्प शब्द ( वचनयोग ) भी उसका एक भेद है। अल्प शब्द बोलना, कषायवश होकर भाषण न करना तथा हृदय में स्थित कषाय को शान्त करना-भाव अनोदरी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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